नई दिल्लीः आओ गुनगुना ले गीत के पटल पर विश्व तंबाकू निषेध दिवस के उपलक्ष्य में तंबाकू विरोधी 'जागृति कवि सम्मेलन' का आयोजन किया गया. इस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता जाने-माने गीतकार डॉक्टर जय सिंह आर्य ने की. मुख्य अतिथि चिंतक-कवयित्री निवेदिता चक्रवर्ती थीं. सान्निध्य गीतकार पवन कुमार 'पवन' का था और विशिष्ट अतिथि के रुप में डॉक्टर सविता चड्ढा, विनय विक्रम सिंह उपस्थित थे. संचालन युवा कवयित्री डॉ सीमा विजयवर्गीय ने किया. कवि सम्मेलन का शुभारंभ सुषमा सवेरा द्वारा गाई सरस्वती वंदना से हुआ. अध्यक्ष डॉ जयसिंह आर्य ने तंबाकू के विरोध में अपने दोहे, चौपाई और मुक्तकों से सबको आंदोलित किया. उनके एक मुक्तक की पंक्तियां थीं, “जो धुएं में जली जवानी क्या, इस नशे की भी कुछ कहानी क्या, पीके सीगरेट क्यों फूंकता दिल को, खांसी खुर्रा की जिंदगानी क्या…” निवेदिता चक्रवर्ती ने पढ़ा, “मैंने खोए हैं जीवन में कुछ लोग, जो करते थे सदा तंबाकू का भोग. जो न करते तो आज ही रहते, बिछोह हम उनका यूं न सहते.” पवन कुमार 'पवन' ने सुनाया, “जो व्यसन बड़े जहरीले लोग उनको पाल रहे हैं, अच्छे खासे जीवन को खतरे में डाल रहे हैं.
विशिष्ट अतिथि डॉक्टर सविता चड्ढा की पीड़ा इन पंक्तियों में व्यक्त हुई, “मेरे पिता की बीड़ी की राख कुछ गर्म थी, जिसने एक बार झुलसा दिया था मेरे बेटे का हाथ.” गीतकार विनय विक्रम सिंह ने नशे पर अपना यह दोहा पढ़ा, “लत शराब, सिगरेट की देह गलाती मित्र. फिर भी इसे खरीदते व्यसनी बड़े विचित्र.” डॉ सीमा विजयवर्गीय ने संचालन में अपना कमाल दिखाया. उन्होंने पढ़ा, “सुन ले मेरी बात यही तो है सच्चाई, नशा छोड़ दे भाई ये है बड़ी बुराई.” मनोज मिश्र कप्तान का दोहा था, “लत में सब दौलत गई, घर तक मटियामेट, तन छूटे, छूटे नहीं तंबाकू, सिगरेट.” भारत भूषण का कहना था, ” तंबाकू खा पी रहे समझे अपनी शान, भूषण ऐसे आदमी अल्पायु मेहमान.” संतोष त्रिपाठी का दोहा था, “मैंने जो की आज तक, तुम मत करना भूल. नशा बिगाड़े जिंदगी नशा नाश का मूल.” आराधना सिंह अनु ने पढ़ा, “जिंदगी को बंदगी से जोड़ दो. अपने मन को हर व्यसन से मोड़ दो.” डॉ पंकज वासिनी ने चेताते हुए कहा, “बीड़ी ,सिगरेट, गुटका, सुरती का जितना जल्दी हो सके करो त्याग. तन को झीना करता यह प्रतिपल धन और हर्ष में भी लगाता आग.” गाफिल स्वामी, नरेंद्र शर्मा खामोश, चंद्रशेखर मयूर, सुषमा सवेरा की नशा विरोधी कविताओं ने भी जनमानस को आंदोलित किया. डॉ विनोद शंकर पांडे, शशिकांत चौधरी ने भी नशे पर अपने व्यंग्य बाण कविता के माध्यम से छोड़े. संयोजक डॉ सुरेश यादव जख्मी ने कार्यक्रम की सफलता पर सभी का आभार व्यक्त किया.