रानीगंज: आचार्य डा महेंद्र प्रसाद कुशवाहा को अनवरत साहित्य साधना, सामाजिक दायित्व बोध व बाल साहित्य में श्रेष्ठ सृजन कर्म के लिए समर्पण के लिए राजवल्लभ साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गया है. प्रेस्टिज संस्थान देवरिया द्वारा दिए गए इस सम्मान से पूरा शिल्पांचल गौरवान्वित हुआ है. कुशवाहा यह सम्मान पाने वाले वह सातवें व्यक्ति हैं. इससे पहले देश के छह बाल साहित्यकारों और रचनाकारों को यह सम्मान मिल चुका है. कृष्ण शलभ को वर्ष 2016 में, कमलेश भट्ट को वर्ष 2017, सूर्यनाथ सिंह को वर्ष 2018 में, राणा यशवंत को वर्ष 2019 में, प्रोफेसर कमलेश वर्मा को 2020, प्रोफेसर हरिणी रानी आगर को वर्ष 2021 और डा कुशवाहा को वर्ष 2022 में यह सम्मान प्राप्त हुआ है. इस सम्मान के तहत मानपत्र, प्रतीक चिह्न और 21 हजार रुपए की सम्मान राशि मिलती है.
याद रहे कि देवरिया स्थित इस संस्थान ने शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्रों में भी अपनी अलग पहचान बनायी है. यह संस्था हिंदी साहित्य के क्षेत्र में बेहतर कार्य करनेवालों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से हर साल सम्मान समारोह का आयोजन करती है. देवरिया में आयोजित कार्यक्रम में डा कुशवाहा को बाल साहित्य में श्रेष्ठ सृजन के लिए राजवल्लभ साहित्य सम्मान मिला. डा कुशवाहा ने निर्णायक मंडली में शामिल साहित्यकार व संस्कृत के विद्वान आचार्य परमेश्वर जोशी, अधिवक्ता व रचनाकार उद्धव मिश्रा, बिलासा कालेज बिलासपुर की प्रोफेसर हरिणी रानी आगर के साथ प्रेस्टिज संस्था का आभार व्यक्त किया और कहा कि कोई भी सम्मान, प्रोत्साहन के साथ-साथ समाज के प्रति जिम्मेदारी को और भी बढ़ा देती है. संस्था ने जिस कार्य की बदौलत उन्हें यह सम्मान प्रदान किया है आगामी दिनों में इस पर और भी बेहतर कार्य करना उनका लक्ष्य है.