आगरा: “हमारी पंचायतें केवल प्रशासनिक इकाइयां नहीं, बल्कि परिवर्तन की उत्प्रेरक हैं. डिजिटल सशक्तिकरण और अभिनव सेवा वितरण के माध्यम से, हम ग्रामीण विकास को एक सहयोगी, समावेशी यात्रा के रूप में फिर से परिभाषित कर रहे हैं.” यह बात ‘जीवन जीने में आसानी: जमीनी स्तर पर सेवा वितरण को बढ़ाना‘ विषय पर आधारित पंचायत सम्मेलन में केंद्रीय पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल ने कही. बघेल ने जमीनी स्तर पर शासन की बदलाव लाने की क्षमता पर जोर दिया और पंचायतों में महिलाओं के नेतृत्व को कमजोर करने वाली ‘प्रधानपति‘ की प्रथा को समाप्त करने का आह्वान किया. उन्होंने पंचायतों से ई-ग्राम स्वराज पोर्टल और नागरिकों को मौसम का पूर्वानुमान प्रदान करने के लिए ‘मेरी पंचायत ऐप‘ का उपयोग करने का आग्रह किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि बेहतर सेवा वितरण और जीवन को आसान बनाने से गांवों से पलायन रुकेगा. उनका दावा था कि स्मार्ट गांव लोगों के जीवन स्तर को बेहतर करेंगे. उन्होंने पंचायतों को स्वयं के स्रोत से राजस्व उत्पन्न करने और अन्य राज्यों की सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने सुविधाओं में सुधार और पंचायत की आय बढ़ाने के लिए गांवों में बहुउद्देश्यीय सामुदायिक हाल की वकालत की. प्रो बघेल ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान ने शासन में स्वास्थ्य और स्वच्छता के साथ-साथ महिलाओं की गरिमा को भी प्राथमिकता दी है. उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे सरकारी योजनाओं, विशेष रूप से 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए आयुष्मान भारत के तहत स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में जानकारी हर नागरिक तक पहुंचाएं.
उत्तर प्रदेश सरकार के पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने ग्रामीण सशक्तीकरण के लिए राज्य की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश शासन का एक ऐसा माडल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां हर पंचायत कुशल, पारदर्शी और उत्तरदायी सेवाओं का केंद्र बने. यह सम्मेलन उस दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने कहा कि डिजिटल परिवर्तन केवल तकनीकी परिवर्तन के लिए नहीं है, बल्कि शासन और नागरिकों के बीच की खाई को पाटने के लिए है. हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि गाँव का हर व्यक्ति सुलभ, कुशल सेवाओं के द्वारा जीवन को आसान बना सके. उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में ग्रामीण भारत में ‘जीवन को आसान बनाने‘ की दिशा में परिवर्तनकारी कदम उठाए गए हैं. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि डिजिटल सेवाओं ने लोगों को लंबी कतारों की परेशानी से मुक्ति दिलाई है. पंचायत सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के पांच उत्कृष्ट पंचायत सहायकों को उनके अनुकरणीय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया. ये उत्कृष्ट पंचायत सहायक थे अनामिका गौतम, धर्मेन्द्र कुमार, रितु चौधरी, कोमल मिश्रा और महफूज आलम. इस आयोजन का एक अनूठा पहलू भाषाई समावेशन था, जिसमें एआई-संचालित भाषिणी मंच का उपयोग करके ग्यारह भाषाओं में कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया गया, जिससे भाषाई बाधाओं के पार प्रशासनिक संचार का लोकतंत्रीकरण हुआ. इस अवसर पर पंचायती राज के अपर मुख्य सचिव नरेंद्र भूषण, संयुक्त सचिव एमओपीआर आलोक प्रेम नागर और आगरा जिला पंचायत अध्यक्ष मंजू भदौरिया सहित सात राज्यों- असम, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, नागालैंड, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 400 प्रतिभागी शामिल हुए.