नई दिल्ली: दैनिक जागरण की अपनी भाषा हिंदी को समृद्ध करने की पहल ‘हिंदी हैं हम’ के अंतर्गत ‘जागरण वार्तालाप’ में मेहमान थे पटना के पुलिस अधीक्षक विनय तिवारी। विनय तिवारी हिंदी जगत में अपनी वीर रस वाली कविताओं के चलते बेहद लोकप्रिय हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश के ललितपुर के रहनेवाले विनय तिवारी आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद पुलिस सेवा में आए। उनका कहना है कि कविताएं उनकी संवेदना को जाग्रत रखती हैं। अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए विनय तिवारी ने अपने जीवन की सफलता का श्रेय अपने पिता को दिया। उनहोंने माना कि पिता के संघर्ष ने उनको जीवन का दर्शन सिखाया। मध्यमवर्गीय किसान परिवार में पले बढ़े विनय तिवारी के मुताबिक उन्होंने अपने पिता से निर्णय लेना सीखा। अगर एक बार कोई फैसला ले लिया और लगता है कि वो फैसला सही नहीं था तो जो ठीक लग रहा है उसके बारे में निर्णय लेना पिता से सीखा।
अपनी कविताओं की बात करते हुए विनय कहते हैं कि लेखक का परिवेश उसको संवेदनशील बनाता है। आज से बारह साल पहले कविता लिखने की शुरुआत करनेवाले विनय के प्रिय कवियों में राष्ट्रकवि दिनकर, निराला और अटल बिहारी वाजपेयी हैं। उनका मानना है कि अब समय आ गया है कि कवियों को कविताएं बोलकर भी अपने पाठकों तक पहुंचाना होगा। उनके मुताबिक इन दिनों सोशल मीडिया के दौर में हिंदी को सुनने समझनेवाले लोग पढ़नेवालों की तुलना में ज्यादा हैं। उनको लगता है कि कविता के मंच की वापसी एक नए स्वरूप में हो रही है क्योंकि सोशल मीजिया हर किसी को मंच देता है। इस कार्यक्रम में विनय तिवारी ने कोरोना पर लिखी अपनी लोकप्रिय कविता के अलावा अन्य कई कविताएं सुनाईं, जिनमें जीवन अपार है, संभवानाओम का सार है, अपने अंदर एक आग लगानी चाहिए आदि प्रमुख है।