भोपालः 'भव' भगवान शंकर का ही एक नाम है. उनकी स्त्री या शक्ति को भवानी कहते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार परमेश्वर की एक ही शक्ति है, परन्तु व्यवहार काल में वह चार रूपों में प्रकट होती है. भोगकाल में भवानी, पुरूष रूप में विष्णु, क्रोधावस्था में काली और युद्धकाल में दुर्गारूप में अवतरित होती हैं. मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय भोपाल के सभागार में रंगप्रयोगों के प्रदर्शन श्रृंखला 'अभिनयन' के अन्तर्गत युवा रंगकर्मी शुभोजीत हलदर की अगुआई में बंगाल की जात्रा लोकनाट्य शैली में इसी विषय का मंचन किया गया. हलदर ने इस कथा आख्यान को पारम्परिक लोकनाट्य शैली में सारगर्भित और सुन्दर बिम्ब तथा उत्कृष्ट संगीत संयोजन के साथ मंचित किया.
देवी के 108 स्वरूपों में से एक 'भवानी' को केन्द्र में रखकर जात्रा शैली में इस मंचन को तैयार किया गया था. इस प्रदर्शन की विशेषता यह थी कि इसमें लोकनाट्य के मूल स्वरूप की रक्षा करते हुए हलदर ने कथा के शास्त्रीय रूप को पारम्परिक लोकरूप के साथ एकमेक करते हुए सधी हुई प्रस्तुति दी, जिसको दर्शक-श्रोताओं की भरपूर सराहना प्राप्त हुई. याद रहे कि मध्यप्रदेश संस्कृति मंत्रालय के तहत जनजातीय संग्रहालय में प्रदेश और देश की पारम्परिक लोकनाट्य शैलियों में किये जा रहे नवप्रयोगों को लगातार मंच प्रदान किया जा रहा है. इसका उद्देश्य लोकनाट्य परम्परा के संरक्षण और भारतीय आख्यान कथाओं को जनसामान्य के समक्ष प्रस्तुत करना है. भवानी लोक कथा के नाट्य रूपांतर का कथ्य लेखन सप्तर्षि मोहन्ती ने तथा प्रस्तुति का कर्णप्रिय संगीत सम्राट नियोगी ने रचा था.