नई दिल्लीः कोरोना जनित लॉक डाउन का सम्पूर्ण पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. नदियों का जल भी प्रदूषण से अपेक्षाकृत मुक्त हुआ है. इसी से जोड़कर 'आओ गुनगुना लें गीत' समूह ने एक ऑनलाइन अखिल भारतीय  कवि सम्मेलन का आयोजन 'गंगा मां' शीर्षक से किया. जिसमें हरिद्वार, दिल्ली, मुरादाबाद, पानीपत, अलवर, करनाल, इन्दौर, शामली, गुरुग्राम, नोएडा और पटना के कवियों ने अपनी एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत कीं. कार्यक्रम की अध्यक्षता छन्द शिल्पी बृजेन्द्र हर्ष  ने की. मुख्य अतिथि कृष्ण कुमार नाज़, स्वागताध्यक्ष डॉ जय सिंह आर्य, संयोजक भारत भूषण वर्मा और विशिष्ट अतिथि केसर कमल तथा अनूपिन्दर सिंह अनूप रहे. संचालन डॉ सीमा विजय वर्गीय ने किया. पूनम रज़ा द्वारा सरस्वती वन्दना के बाद बृजेन्द्र हर्ष ने की कविता से कार्यक्रम की शुरुआत हुई.जन की क्या धरती की प्यास बुझाती है, देती जीवन दान हमारी गंगा मां .
सभी रचनाकारों का स्वागत करते हुए डॉ जयसिंह आर्य ने अपने काव्यपाठ में पढ़ा, “प्यार लुटाये प्यार जताने वालों को, सुख देती है शरण में आने वालों को. अपने भक्तों के निश्छल मन में, पार लगाये आस लगाने वालों को.डॉ कृष्ण कुमार नाज़ ने अपनी रचना के माध्यम से कहा, “संतानों की पल भर में कर देती है, हर मुश्किल आसान हमारी गंगा मां.अनूपिन्दर सिंह अनूप ने कहा, “तन मन को निर्मल करे, हरता सबकी पीर. अमृत से तो कम नहीं, गंगा मां का नीर.केसर कमल ने अपनी रचना में कहा, “खेतों में बहती मां गंगा, फसलों में उगती मां गंगा. मनुष्य, पशु, प्रेम, पेड़ बल पायें, प्राणों में बसती मां गंगा.भारत भूषण वर्मा ने अपनी कविता इस प्रकार पढ़ी, “सुने भगीरथ स्वर, शिव बने गंगाधर, शिवजटा से उतर, गंगा मैया आयी हैं.इनके अतिरिक्त पूनम रज़ा, सीमा विजयवर्गीय, श्रीकृष्ण निर्मल, सरिता जैन, मनोज मिश्रा कप्तान, अनिल पोपट कामचोर, बृजेश सैनी, प्रीतम सिंह प्रीतम, सन्तोष त्रिपाठी, नरेन्द्र शर्मा खामोश, प्रेम सागर प्रेम,आराधना सिंह अनु, नरेश लाभ और डॉ पंकज वासिनी ने भी काव्य पाठ किया.