पिपरिया: 'चलो बदलाव बनें' ध्येय वाक्य को लेकर एक स्थानीय संस्था ने साहित्य सृजन को शालाओं तक पहुंचाने के लिए 'उमंग संवाद' कार्यक्रम को विस्तार दिया है. उमंग संवाद का उद्देश्य छात्र-छात्राओं में साहित्य रचना प्रक्रिया, शिक्षा स्वास्थ्य एवं समसामयिक ज्वलंत मुद्दों की समझ विकसित करना है. इस कड़ी में पहला आयोजन जिला कबीरधाम अंतर्गत पंडरिया विकासखंड के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कुंडा के सभागार में सैकड़ों छात्र-छात्राओं प्रबंधन समिति के सदस्यों एवं अभिभावकों की उपस्थिति में किया गया. आयोजन के प्रथम चरण में छात्र-छात्राओं द्वारा शिक्षा स्वास्थ एवं नशामुक्ति विषय पर तैयार चित्रकला का प्रदर्शन किया गया. इसके बाद प्रश्नमंच के आयोजन में कुल सात टीमों ने भाग लिया. द्वितीय चरण उमंग संवाद का रहा. इसमें साहित्य सृजन शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर व्याख्यान हुए. साहित्य सृजन पर पहला व्याख्यान, 'साहित्य रचना प्रक्रिया' पर छत्तीसगढ़ के युवा कवि एवं समीक्षक अजय चंद्रवंशी ने दिया. उन्होंने कहा कि 'कोई भी रचनाकार जन्मजात नहीं होता. रचना या कला जीवन के अनुभवों एवं अभ्यास से ही अर्जित की जाती है. जहां कहीं भी हमारे मन में कोई उद्वेलित करने वाला विचार किसी घटना अथवा दृश्य के दृष्टिगत उत्पन्न होता है, तो उसे लिपिबद्घ कर लेना चाहिए. साहित्य सृजन के लिए भाषा व्याकरण आदि द्वितीयक विषय हैं. प्रमुख बात है विचार का आना और उसका संप्रेषित किया जाना. एक साहित्यकार को संवेदनशील और अपने कार्यों के निर्वहन के प्रति ईमानदार होना चाहिए. संवेदनाविहीन साहित्य का समाज में अधिक समय तक स्थान नहीं रहता.'
वरिष्ठ साहित्यकार समय लाल विवेक ने कहा कि अपने परिवेश के सजग और सूक्ष्म अवलोकन करते हुए साहित्य सृजन किया जाना चाहिए.रचनाकार नरेंद्र कुलमित्र अपनी गजल के जरिए मौलिकता पर अपनी बात रखी जिस पर एक छात्रा ने सवाल किया कि क्या हमें लिखते समय साहित्यिक शब्द प्रयोग प्रमुख है या हमारे विचार? इस पर कुलमित्र ने कहा कि मौलिकता का महत्त्व सबसे अधिक है जरूरी है कि हमारे मन में विचार जिन शब्दों के साथ जिस रूप में आए हैं उन्हें उसी रूप में कहा जाए. किसी शब्द के कठिन पर्यायवाची शब्द का प्रयोग अवांछित है. व्याख्याता एवं इतिहासकार महेश आमदे ने अपनी मौलिक रचना के माध्यम से छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का वर्णन किया.शिक्षा एवं स्वास्थ्य विषय पर समाजसेवी डॉ एमएल चंद्रवंशी ने अपनी बात रखी. पूरे व्याख्यान के दौरान छात्र-छात्राओं ने सजगता से सहभागिता निभाई. कार्यक्रम में सम्मिलित छात्र-छात्राओं को मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया. इस दौरान शाला प्रबंध समिति अध्यक्ष हरचरण सिंग खनुजा, पूर्व सरपंच अमरजीत सिंग, प्राचार्य जीएस मक्कड़, कार्यक्रम की सेतु कड़ी शिक्षिका ललिता साहू, आर साहू, बीएल चंद्राकर, एमके चंद्राकर, एमआर चंद्रवंशी, एससी आडीले, अवध मिश्रा, आर खानम, एल साहू, सुनील तिवारी, एस धीरि, आरसी साहू, जीएस ठाकुर, जीआइ ठाकुर आदि शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे. कार्यक्रम के दौरान टीम उमंग के अध्यक्ष जगमोहन चंद्रवंशी, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर, पारसमणि शर्मा, वीरेंद्र चंद्रवंशी, कैलाश चंद्रवंशी आदि उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन प्रेमीश शर्मा और भागवत साहू ने किया.