नई दिल्ली: “गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा एक अमूर्त संपत्ति है, क्योंकि यह व्यक्तिगत विकास और सामाजिक परिवर्तन के साथ-साथ नवाचार तथा आर्थिक प्रगति को भी बढ़ावा देती है.” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शैक्षणिक संस्थानों की मान्यता और मूल्यांकन प्रणाली में सुधार पर जोर दिया गया है. उन्होंने राज्यपालों से राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में अपनी क्षमता में इस सुधार प्रक्रिया में योगदान देने का आग्रह किया. राष्ट्रपति ने कहा कि इस सम्मेलन के एजेंडे में सावधानीपूर्वक चुने गए विषय शामिल हैं, जो हमारे राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में होने वाले विचार-विमर्श सभी प्रतिभागियों के लिए एक समृद्ध अनुभव होंगे और उनके कामकाज में सहायक होंगे. राष्ट्रपति ने कहा कि आपराधिक न्याय से संबंधित तीन नए कानूनों के लागू होने से देश में न्याय व्यवस्था का एक नया युग शुरू हुआ है. उन्होंने कहा कि हमारी सोच में बदलाव इन कानूनों के नामों से स्पष्ट है: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम. राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र के सुचारू संचालन के लिए यह जरूरी है कि विभिन्न केंद्रीय एजेंसियां सभी राज्यों में बेहतर समन्वय के साथ काम करें. उन्होंने राज्यपालों को सलाह दी कि वे इस बारे में सोचें कि वे संबंधित राज्यों के संवैधानिक प्रमुख के रूप में इस समन्वय को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं.
राष्ट्रपति ने कहा कि यदि युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों में लगाया जाए तो ‘युवा विकास‘ और ‘युवा-नेतृत्व विकास‘ को और गति मिलेगी. ‘मेरा भारत‘ अभियान इस उद्देश्य के लिए एक सुविचारित प्रणाली प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि राज्यपालों को इस अभियान से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक युवा लाभान्वित हो सकें. ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत‘ अभियान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लोगों को एक-दूसरे को समझने और एक-दूसरे से जुड़ने का मौका मिला है. उन्होंने राज्यपालों से एकता की भावना को और मजबूत करने में योगदान देने का आग्रह किया. राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं. राज्यपाल ‘एक पेड़ मां के नाम‘ अभियान को बड़े पैमाने पर जन आंदोलन बनाकर इसमें योगदान दे सकते हैं. उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने भी उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राज्यपालों की शपथ का उल्लेख किया और उनसे पिछले दशक के दौरान हुए सामाजिक कल्याण योजनाओं तथा अभूतपूर्व विकास के बारे में लोगों को जागरूक करने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने का आग्रह किया. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यपालों से आग्रह किया कि वे केंद्र और राज्य के बीच एक प्रभावी सेतु की भूमिका निभाएं तथा लोगों और सामाजिक संगठनों के साथ इस तरह से संवाद करें कि वंचित लोगों को शामिल किया जा सके. उन्होंने कहा कि राज्यपाल का पद एक महत्वपूर्ण संस्था है, जो संविधान के ढांचे के भीतर राज्य के लोगों के कल्याण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, खासकर आदिवासी क्षेत्रों के संदर्भ में. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दो दिवसीय सम्मेलन में होने वाली चर्चाओं की रूपरेखा बताई तथा राज्यपालों से लोगों में विश्वास पैदा करने और विकास कार्यों को गति देने के लिए जीवंत गांवों और आकांक्षी जिलों का दौरा करने का आग्रह किया.