लखनऊः उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के मुखिया चौधरी कैफ उल वरा की अध्यक्षता में कार्यकारिणी समिति की बैठक ने वर्ष 2020 के लिए उर्दू अकादमी द्वारा दिए जाने वाले कई श्रेणियों के पुरस्कार की घोषणा कर दी है. कई श्रेणियों में 200 लोगों को पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी ने उर्दू के जिन दो रचनाकारों को लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया है, उनमें उर्दू कथाकार खालिद जावेद और जाने-माने शायर शारिक कैफी शामिल हैं. इसी तरह काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कला संकाय प्रमुख और हिंदी के विद्वान प्रो विजय बहादुर सिंह को 'डॉ सुगरा मेहंदी कौमी यकजहती सम्मान 2020' के लिए चुना गया है. इन रचनाकारों को पुरस्कार के तहत एक लाख रुपए एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जाएगा. खालिद जावेद उर्दू कथा-साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर हैं. खालिद जावेद दर्शनशास्त्र और उर्दू साहित्य पर समान अधिकार रखते हैं. वर्तमान में जामिया मिलिया इस्लामिया में उर्दू के प्रोफेसर हैं. खालिद जावेद के तीन कहानी संग्रह, तीन उपन्यास और 'गैब्रियल गार्सिया मार्केज़' और 'मिलान कुंदेरा' पर आलोचना पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं.
शारिक कैफ़ी उर्दू के जाने-माने शायर हैं और अपनी शायरी के खास मिजाज के चलते युवाओं में खासे लोकप्रिय हैं. शारिक का पहला संग्रह 'आम सा रद्द-ए-अमल' 1989 में प्रकाशित हुआ. इसके बाद गजल संग्रह 'यहां तक रोशनी आती कहां थी', नज्म संग्रह 'अपने तमाशे का टिकट', 'खिड़की तो मैंने खोल ही ली' और 'देखो क्या भूल गए हम' प्रकाशित हुए हैं. प्रो विजय बहादुर सिंह हिंदी के अब तक के पहले विद्वान है, जिन्हें अकादमी ने डॉ सुगरा मेहंदी कौमी यकजहती सम्मान के लिए चुना है. प्रो. सिंह ने हिंदी के साथ-साथ उर्दू विषय के उत्थान में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है. उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी की ओर से लाइफ टाइम अचीवमेंट के अलावा उर्दू लेखन के लिए राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के कई पुरस्कार देती है, जिसमें उपन्यास, नाटक, हास्य, काल्पनिक, बाल साहित्य, आलोचना, मेडिकल, पत्रकारिता, रिसर्च, व्यंग्य, आत्मकथा, जीवनी आदि विधाओं पर लेखन और कार्य शामिल है.