नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े खेल मेले की कहानी बड़ी रोचक है. आज जब पेरिस 2024 ओलंपिक 26 जुलाई से 11 अगस्त तक चल रहा है और इसमें 206 राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों के एथलीट और शरणार्थी ओलंपिक टीमें 35 स्थानों पर 10,500 एथलीट के साथ इस ऐतिहासिक आयोजन में भाग ले रही हैंतब आयोजन की शुरुआत कैसे हुईइस कहानी को जानना काफी दिलचस्प है. ओलंपिक खेलों का इतिहास दो सहस्राब्दियों से भी ज़्यादा पुराना हैजो खेल और संस्कृति से गहराई से जुड़ा हुआ है. 776 ईसा पूर्व में शुरू हुए ये प्राचीन खेल हर चार साल में गाड जीउस के सम्मान में आयोजित किए जाते थेजिसमें न केवल एथलेटिक प्रतियोगिताएं होती थींबल्कि संगीतकविता और रंगमंच जैसे कलात्मक कार्यक्रम भी होते थे. 19वीं सदी के अंत मेंवैश्विक खेल समुदाय के भीतर अव्यवस्था के कारण अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों को पुनर्जीवित करने के प्रयासों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा. यह तब बदल गया जब बैरन पियरे डी कुबर्टिन ने पेरिस में पहली ओलंपिक कांग्रेस बुलाई. आधुनिक युग के पहले ओलंपिक खेल अप्रैल 1896 में प्राचीन ओलंपिक के जन्मस्थान ग्रीस के एथेंस आयोजित हुए थे. यह प्रथम ओलंपियाड के खेल के रूप में जाना जाता है. इस ऐतिहासिक आयोजन में 14 देशों के 241 एथलीटों ने भाग लिया था. एथेंस 1896 खेलों में स्टेडियम खचाखच भरे हुए थे और उत्साही भीड़ थीविशेष रूप से ओलंपिक मैराथन फाइनल जैसी प्रतियोगिताओं के लिए. पेरिस 1900 ओलंपिक खेलों में पहली बार महिलाओं ने हिस्सा लिया. पांच बार विंबलडन चैंपियन रहीं ब्रिटिश टेनिस खिलाड़ी चार्लोट कूपर पहली महिला ओलंपिक चैंपियन बनीं. 997 एथलीटों में से 22 महिलाएं थींजिन्होंने टेनिसनौकायनक्रोकेटघुड़सवारी और गोल्फ़ में भाग लिया.

1896 में एथेंस में हुए पहले आधुनिक ओलंपिक खेलों से लेकर पेरिस में होने वाले 2024 के खेलों तकओलंपिक खेलों में काफ़ी बदलाव हुए हैं. 1896 के खेलों में 14 देशों के 241 एथलीट शामिल थेजिसमें ग्रीस पदकों के मामले में सबसे आगे था. पिछले कुछ दशकों में खेलों का दायरा और समावेशिता बढ़ती गई हैजिसमें 1900 में महिलाओं की पहली भागीदारी और नए खेलों और कार्यक्रमों की शुरुआत जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धियां शामिल हैं. 1900 में पेरिस ओलंपिक में सिर्फ एक प्रतिभागी के साथ अपनी शुरुआत के बाद से भारत की ओलंपिक यात्रा में काफी बदलाव आया है. जहां तक भारत की बात है 1920 में एंटवर्प खेलों में एक ऐतिहासिक क्षण आया जब भारत ने अपना पहला आधिकारिक दल भेजाजिसने उल्लेखनीय उपलब्धियों की एक शताब्दी को चिह्नित किया. पेरिस 1924 ओलंपिक में वास्तव में भारत ने टेनिस में शुरुआत कीजिसमें एकल और युगल स्पर्धाओं में पांच खिलाड़ियों ने भाग लिया. इसके बाद एम्स्टर्डम 1928 ओलंपिक में भारतीय पुरुष हाकी टीम का उल्लेखनीय प्रदर्शन हुआजहां भारत ने प्रतिष्ठित ध्यानचंद के नेतृत्व में अपना पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक हासिल किया. यह उल्लेखनीय है कि हाकी टीम ने 29 गोल किए और लेकिन पूरे टूर्नामेंट में उनके खिलाफ एक भी गोल नहीं हुआजिसने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक उच्च मानक स्थापित किया. 1930 और 40 के दशक में महान खिलाड़ी ध्यानचंद के नेतृत्व में भारत की पुरुष हाकी टीम का उदय भी हुआजिन्होंने एम्स्टर्डम 1928, लॉस एंजिल्स 1932 और बर्लिन 1936 में अभूतपूर्व तीन लगातार स्वर्ण पदक हासिल किएजिससे दुनिया की प्रमुख हाकी ताकत के रूप में भारत की प्रतिष्ठा मजबूत हुई.