जौनपुर: ‘एक पल ही जियो फूल बनकर जियो, फूल बनकर ठहरना नहीं जिंदगी‘ जैसे गीतों के प्रणेता कवि साहित्य वाचस्पति डा श्रीपाल सिंह क्षेम की 102वीं जयंती पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत क्षेम उपवन में पुष्पांजलि समारोह से हुई. इसके पश्चात जिला अस्पताल में मरीजों को फल वितरित किया गया. शाम को सिद्धार्थ उपवन के सभागार में जयंती समारोह मना, जिसमें मुख्य अतिथि महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री एवं भाजपा नेता कृपा शंकर सिंह, समाजसेवी एवं उद्योगपति ज्ञान प्रकाश, जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ और पुलिस अधीक्षक डाक्टर अजय पाल शर्मा ने शिरकत की. सिंह ने कहा कि साहित्य वाचस्पति डा श्रीपाल सिंह क्षेम की कविताएं मानवता का संदेश देती हैं. जिसने भी उनकी कविताओं को गंभीरतापूर्वक पढ़ा या सुना होगा उसने अपने जीवन में सही रास्ता पकड़ा होगा. उन्होंने कहा कि ‘निंदिया घरों से देखो धूपिया मुंडेरा है. जभी से जगो रे भाई तभी से सबेरा है.‘ क्षेम जी की कविता आज भी उनका मार्गदर्शन करती है. विशिष्ट अतिथि के रूप में जिलाधिकारी रवींद्र कुमार मांदड़ ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है. इसमें कवि अपने समय की परिस्थितियों का चित्रण करता है.
डा अजय पाल शर्मा ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौर में साहित्यकारों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया. साहित्य में समाज को दिशा देने की शक्ति होती है. आज भी डा क्षेम अपनी रचनाओं के माध्यम से देश के लोगों को प्रेरणा दे रहे हैं. ज्ञानप्रकाश सिंह ने डा क्षेम को हिंदी साहित्य के इतिहास में एक सशक्त हस्ताक्षर बताया. संचालन डा मधुकर तिवारी ने किया. समारोह के दूसरे चक्र में पं रामकृष्ण त्रिपाठी की अध्यक्षता में भव्य कवि सम्मेलन मुशायरे का आयोजन किया गया. कवि सम्मेलन का शुभारंभ कवयित्री सुदामा पांडेय सौरभ ने‘हमार अंगना मइया धीरे से अइह, बइठि के अगनवां में बीना बजइह‘ सरस्वती वंदना से किया. गीतकार भालचन्द्र त्रिपाठी ने ‘तुम सलीके से कह गये होते. हम भी हर बात सह गये होते. कोई बैठा हमारी छांव में है, वरना हम कब के ढह गये होते.‘ जैसी रचनाओं से वाहवाही लूटी. अंसार जौनपुरी ने ‘सिर्फ इक शोला बयानी के सबब उठा धुआं, मुद्दआ इक घर जलाकर रहबरी को मिल गया.‘ सुनाया. नागेश शाण्डिल्य ने सुनाया ‘हम दोनों पति-पत्नी हैं यह बात है सही, परंतु एक दूसरे के नहीं‘, तो डा रणजीत सिंह ने ‘मेरे देश के सैनिक ही मेरी कविता के नामय हैं, हम ऐसे वीर जवानों की पौरूष गाथा के गायक हैं‘ सुनाया. संचालन सभाजीत द्विवेदी प्रखर, अभिनंदन ओमप्रकाश सिंह तथा आभार शशिमोहन सिंह क्षेम ने किया. उक्त अवसर पर वीरेन्द्र सिंह एडवोकेट, दुष्यंत सिंह, वशिष्ठ नारायण सिंह, रवीन्द्र प्रताप सिंह, डा मनोज मिश्र, हरिवंश मिश्र, रामदयाल द्विवेदी, देवी सिंह, अमित सिंह, अर्जुन शर्मा, श्रवण उपाध्याय, लोलारख दूबे, रामशृंगार शुक्ल गदेला, राजेश मिश्रा, अभिषेक मिश्रा, चन्द्रप्रकाश शुक्ला, पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह, राजेश मौर्या, राजीव पाठक, अनुज पटेल, राजेश उपाध्याय, प्रदीप सिंह सफायर, जेड हुसैन बाबू, शीतला मौर्य, मुकेश सेठ, नीरज मौर्य, शिवम सिंह, संजय माली, दयाशंकर यादव, आदर्श यादव, राजेश सिंह आदि उपस्थित थे.