नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई पीढ़ी को गंभीर ज्ञान से दूर न होने की आवश्यकता पर बल देते हुए वेदों और उपनिषदों को केवल आध्यात्मिक ज्ञान का अवतार ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक ज्ञान भी कहा. प्रधानमंत्री ने कहा कि वेदों में निहित विचार कालातीत हैं और संपूर्ण मानव जाति के लिए हैं. प्रधानमंत्री ने यह बातें वीडियो कांफ्रेंस के जरिए पत्रिका समूह के चेयरमैन गुलाब कोठारी द्वारा लिखी गई दो पुस्तकों संवाद उपनिषद् और अक्षर यात्रा के विमोचन अवसर पर कहीं.
प्रधानमंत्री ने उन वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानियों को भी याद किया जो अपनी रचनाओं को लिखने और लोगों का मार्गदर्शन करने में शामिल थे. जनता की अभूतपूर्व सेवा करने और कोरोना के बारे में जागरूकता बढ़ाने में भारतीय मीडिया के योगदान की सराहना करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जमीनी स्तर पर सरकार के कार्यों का सक्रिय रूप से प्रसार कर रहा है और उनमें खामियां भी निकाल रहा है.
प्रधानमंत्री ने खुशी जाहिर की कि मीडिया 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान को आकार दे रहा है जो 'वोकल फॉर द लोकल' होने पर जोर देता है. उन्होंने इस संकल्पना को और विस्तार देने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने दोहराया कि भारत के स्थानीय उत्पाद वैश्विक हो रहे हैं लेकिन भारत की आवाज भी अधिक वैश्विक होनी चाहिए. उन्होंने उल्लेख किया कि दुनिया अब भारत को अधिक ध्यान से सुनती है। ऐसे में भारतीय मीडिया को भी वैश्विक होने की जरूरत है. भारतीय संस्थानों को भी उसी तरह के पुरस्कार देने चाहिए जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को सकारात्मकता के साथ काम करना चाहिए ताकि वह समाज के लिए कुछ सार्थक कर सके. प्रधानमंत्री ने गरीबों को शौचालय प्रदान करने, उन्हें कई बीमारियों से बचाने के लिए स्वच्छ भारत अभियान की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने उज्जवला योजना के महत्व के बारे में भी बताया जिसका उद्देश्य माताओं और बहनों को धुएं से बचाना है. उन्होंने हर घर को पानी उपलब्ध कराने के लिए जल जीवन मिशन की भी जानकारी दी.