नई दिल्ली: अर्जुन सिंह कादियान की पुस्तक 'लैंड्स ऑफ द गॉड' के विमोचन के साथ प्रभा खेतान फाउंडेशन द्वारा राजधानी में आयोजित पांच दिवसीय किताब फेस्टिवल का समापन हुआ. अंतिम सत्र में अनंतमाला पोद्दार और नीलिमा डालमिया ने आरंभिक वक्तव्य दिया. लेखक अर्जुन सिंह, बैजयंत 'जय' पांडा, संजीव सान्याल और शाजिया इल्मी ने संवाद किया. अतिथि वक्ताओं का अभिनंदन वंदना सिंह ने किया. संवाद के दौरान लेखक अर्जुन सिंह ने बताया कि इतिहास कैसे लिखा जाता है और कैसे इतिहास हम सभी को स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाया जाता है. पर अब इसमें एक उल्लेखनीय बदलाव की जरूरत है. हमें अपने इतिहास को और अधिक संदर्भ में लाने और इसे और अधिक संबंधित बनाने की आवश्यकता है. शाजिया इल्मी ने संजीव सान्याल से पूछा कि आप क्या सोचते हैं कि जब हम मुगल सम्राटों के बारे में बात करते हैं कि उदार अकबर और नशे में धुत जहांगीर और एक बहुत ही कट्टर औरंगजेब के बीच अंतर करने की आवश्यकता है, बजाय इसके कि उन्हें मुगल बादशाह कहा जाए?
संजीव सान्याल का उत्तर था कि एक लेखक के लिए, यह महत्त्वपूर्ण है कि आप जो कुछ भी कहते हैं, उसे ठीक से संदर्भित करें और क्रॉस-रेफरेंस के लिए विश्वसनीय रिकॉर्ड द्वारा समर्थन करें. मुझे समझ में नहीं आता कि आप इतिहासकारों से 500 साल पहले हुई किसी बात पर सहमत होने की उम्मीद क्यों करते हैं, जब आपको सिर्फ टेलीविजन पर दिखाना होता है कि कल जो हुआ उस पर कोई भी सहमत नहीं है. प्रभा खेतान फाउंडेशन के किताब फेस्टिवल के पहले वर्ष की शुरुआत इस वादे के साथ की गई थी कि हर किसी को अपने काम को प्रस्तुत और व्यक्त करने के लिए पर्याप्त जगह मिलेगी. पांच दिवसीय उत्सव में राजनीति, इतिहास, धर्म, कानून, फोटोग्राफी, अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू कविता जैसे विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर पैनल चर्चा और पुस्तक लॉन्च की मेजबानी की गई. इस फेस्टिवल ने कई लेखकों और प्रकाशनों को अपना काम प्रस्तुत करने के लिए एक मंच प्रदान किया. इस फेस्टिवल में विचारोत्तेजक, प्रेरणादायक, पेचीदा और कभी-कभी उग्र और उत्तेजक पैनल चर्चाएं भी सामने आईं जो सूचनात्मक और शिक्षाप्रद थीं.