रांचीः पूर्व प्रधानमंत्री और लोकप्रिय कवि रहे अटल बिहारी वाजपेयी के निधन ने न केवल भारतीय राजनीति जगत बल्कि साहित्य जगत को भी प्रभावित किया है. देश जहां सात दिन का शोक मना रहा है, वहीं साहित्य और लेखक जगत उनकी याद में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित कर रहा है. सोशल मीडिया पर उनकी कविताओं के साथ उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों की बाढ़ सी आई है तो मारीशस में हो रहे विश्व हिंदी सम्मेलन की शुरुआत भी उन्हें श्रद्धांजलि देने से हुई. अटल जी को श्रद्धांजलि देने के क्रम में देश का झारखंड जैसा इलाका भी पीछे नहीं है. यहां के अखिल भारतीय कवि सम्मेलन संस्थान ने अपने 'स्थापना दिवस की सुबह-शाम अटल बिहारी वाजपेयी जी के नाम' कर दी है.
साहित्य संगम संस्थान, इंदौर एवं अखिल भारतीय कवि सभा ने झारखंड के चक्रधरपुर के अमर कम्पलैक्स में उन्नीस अगस्त को संयुक्त रूप से राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसे अब अटल जी की याद को समर्पित कर दिया गया है. इस कवि सम्मेलन में इंदौर के आचार्य भानु प्रताप वेदालंकार, दिल्ली के दीक्षित दनकौरी, लखनऊ के हसन काजमी, मुंबई के यासिफ यार, देहरादून के सुबोध वाजपेयी, नागपुर के कुनाल दानिश, राजस्थान के राकेश राज दीक्षित, जबलपुर की मीना भट्ट, छत्तीसगढ़ के तेजराम नायक, नासिक के राम कृष्ण सहस्त्रबुद्धे, रांची के प्रसांत किरण, नागपुर के मो. अजहर, सीहोर के अरुण श्रीवस्तव 'अर्नव', गुना के राजवीर सिंह 'मंत्र' और मुजफ्फरपुर के पंकज कुमार 'वसंत' सहित दर्जनों प्रतिष्ठित साहित्यकार शामिल होंगे. इस कार्यक्रम के आयोजक किसन लाल अग्रवाल का कहना है कि अटल जी का कवित्व ही हम साहित्यकारों की ओर से उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है.