कोल्हापुर: “आप शिक्षा के महत्त्व को समझें और अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने का प्रयास करें. अच्छी और नैतिकता पूर्ण शिक्षा जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगी.” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने श्री वारणा महिला सहकारी उद्योग समूह के स्वर्ण जयंती समारोह में उपस्थित नारी शक्ति से व्यक्तिगत जीवन में कुछ सीख को अपनाने का अनुरोध करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि नई को सीखने और अपनाने में आगे रहें. ये न केवल आपके जीवन को सुविधाजनक बनाएंगे बल्कि आपको इसके दुरुपयोग के बारे में भी जागरूक करेंगे. राष्ट्रपति ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को अपने दैनिक जीवन में अहम स्थान दें क्योंकि आपके छोटे-छोटे प्रयास धरती मां और इसके बच्चों को बचाने में अहम होंगे. यही नहीं आप सब अपने से कमजोर लोगों की यथासंभव मदद करें और उनको भी साथ ले कर चलने का प्रयास करें. देश के विकास में योगदान करने के लिए सदैव तत्पर रहें, क्योंकि हमारे व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयास भारत को विश्व पटल पर ऊंचा स्थान दिलाएंगे. राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में आधुनिक सहकारिता की शुरुआत भले ही बीसवीं शताब्दी में हुई हो, लेकिन पारस्परिक सहायता, सेवा, सामाजिक स्वामित्व, न्याय और एकता तथा भाईचारे जैसे सहकारिता के स्वीकृत सिद्धान्त भारतीय सभ्यता के मूल में रहे हैं. प्राचीन काल में इनकी झलक हमें श्रेणी और गण जैसी व्यापारिक संस्थाओं में मिलती है.
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि मेरा मानना है कि सहकारिता समाज में निहित शक्ति का सदुपयोग करने का उत्तम माध्यम है. इसके सिद्धान्त संविधान में परिकल्पित न्याय, एकता तथा भाईचारे की भावना के अनुरूप हैं. जब अलग-अलग वर्ग और विचार के लोग सहकार के लिए एकजुट होते हैं तब उन्हें सामाजिक विविधता का लाभ मिलता है. राष्ट्रपति ने कहा कि निजी उद्योग और व्यापार ने देश के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है लेकिन सहकारिता का योगदान देश के विकास में अतुलनीय है. अमूल और लिज्जत पापड़ जैसे घर-घर में जाने जाने वाले ब्रांड सहकारिता की ही देन हैं. आधुनिक प्रबंधन में भी सहकारिता को महत्त्व दिया जाता है क्योंकि किसी भी संस्था या समाज को सुचारू रूप से कार्य करने के लिए जिसकी जरूरत है वह सहकारिता में निहित है. आज इस वारणा घाटी में जो विकास हुआ है उसके मूल में सहकारिता ही है. राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है. इस सफलता में सहकारी समूहों का महत्त्वपूर्ण योगदान है. प्राय: सभी राज्यों में दुग्ध उत्पाद प्रमुख रूप से सहकारी संस्थाओं द्वारा उत्पादित और वितरित किए जाते हैं. आपका वारणा दूध इसका एक उदाहरण है. केवल दूध ही नहीं उर्वरक, कपास, हैंडलूम, हाउसिंग, खाद्य तेल और चीनी जैसे क्षेत्रों में सहकारी संस्थाएं अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. इफको भारत ही नहीं विश्व के अग्रणी सहकारी संस्थानों में से एक है.