पटना, 2 सितंबर-पत्रकार, शायर व लेखक नीलांशु रंजन के रूमानी उपन्यास "खामोश लम्हों का सफर" का लोकार्पण सुप्रसिद्ध  साहित्यकार ममता कालिया और प्रख्यात कवि आलोक धन्वा जी के हाथों   ए० एन० कॉलेज में सम्पन्न हुआ। इस मौके पर कॉलेज के प्राचार्य एस० पी० शाही एवं दर्ज़नों गणमान्य साहित्यकार मौजूद थे। प्रो० शाही ने स्वागत भाषण व हिंदी की विभागाध्यक्षा प्रो० चंद्रकांता कुमारी ने कृतज्ञता ज्ञापन दिया। 

मुख्य अतिथि ममता कालिया ने कहा किविवाहेतर प्रेम पर पहले भी लिखा जा चुका है और जैनेन्द्र जी जैसे उपन्यासकार ने लिखा। वे जहां इस संबंध को पूर्णत: सही ठहराने की कोशिश करते हैं, वहीं नीलांशु रंजन इस संबंध को लेकर लगातार अंतर्द्वंद्व से गुज़रते हैं और रूहानी प्रेम की बात करते हैं।"  ममता कालिया ने आगे कहा " स्त्री पुरूष के विविध आयामों का बखान करने में लेखक सफल है। पत्नी के रहते , किसी औरत के मित्र बन जाने में कोई बुराई नहीं है, बशर्ते कि प्यार एक तरफा न हो। "

उपन्यास के संदर्भ में बोलते हुए प्रख्यात कवि आलोक धन्वा ने उपन्यासकार की भाषा की तारीफ की। प्रो कलानाथ मिश्र ने कहा कि  लेखक ने विवाहेतर प्रेम संबंध को लेकर उत्सुकता पैदा किया है। उपन्यास के लेखक नीलांशु रंजन जी ने अपने उपन्यास की रचना प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए कहा  " प्रेम में अगर संवेदना है तो किसी भी उम्र में प्रेम हो और किसी से हो, ग़लत नहीं है। "  नीलांशु रंजन ने  उपन्यास के अंशों का पाठ भी किया। 

लेखक की सृजन यात्रा से सम्बंधित एक वृत्तचित्र का प्रदर्शन किया गया। लोकार्पित उपन्यास पर मुम्बई से आए निर्माता निर्देशक राहुल रंजन ने फ़िल्म बनाने की घोषणा करते हुए कहा " ये अदभुत प्रेम कहानी है और इसमें फिल्म बनने के सारे तत्व हैं। उन्होंने इस उपन्यास पर फिल्म बनाने की भी घोषणा कर दी। फिल्म की शूटिंग पांच- छह महीने बाद शुरू होने की संभावना है। कार्यक्रम का संचालन चर्चित कवयित्री भावना शेखर ने किया।

इससे पूर्व नीलांशु रंजन के गज़लों का अल्बम " नज़्म-ए-नीलांशुआया थाजिसे मशहूर शायर राहत इन्दौरी ने रिलीज़ किया था। 

   ए एन कालेज के सभागार में, प्रगति मीडिया की सह भागीदारी में आयोजित, इस भव्य साहित्यिक समारोह में सिद्धेश्वर , निविड़ शिवपुत्र , कवि घनश्याम , सिंधु कुमारी , आराधना प्रसाद , विश्वकर्मा वर्मा , निता सिन्हा, लता परासर   सरीखे साहित्यिप्रेमी शामिल हुए।