बिजनौरः होली का पर्व उत्तर भारत में अपनी कई खूबियों के चलते लगभग महीने भर चलता है. आम जनमानस जहां सप्ताह भर में इस पर्व से निबट जाता है वहीं साहित्य जगत और कला मंच पर महीनों इसका रंग चढ़ा रहता है. चैता, फाग की धुनें और अलमस्ती इस पर्व को और भी रंगीन और मदमस्त बना देते हैं. पर इन सबके बीच समाज के लिए संदेश, सामाजिक समरसता, भ्रष्टाचार पर तंज की बानगी भी खूब देखने को मिलती है. स्थानीय अग्रवाल सभा के तत्वावधान में आयोजित कवि सम्मेलन में भी यह स्पष्ट दिखा और कवियों ने जहां अपने गीतों के माध्यम से देश भक्ति के गीत सुनाए, वहीं अपने शब्दों में सामाजिक, राजनीतिक व्यवस्था पर तंज कसे. पंचवटी रसोई में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का शुभारंभ सभा के संरक्षक पीसी मित्तल तथा सभा के अध्यक्ष नरेश गोयल द्वारा महाराजा अग्रसेन के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं अग्र गीत 'झंडा लहर लहर लहराए' के साथ किया गया.
इसके पश्चात कवि प्रदीप डेजी के संचालन में आयोजित कवि सम्मेलन का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ. प्रीति अग्रवाल ने देशभक्ति से ओतप्रोत कविता पर खूब तालियां बटोरीं तो कवि आलोक बेजान ने अपनी कविता के माध्यम से वर्तमान राजनीति पर जमकर प्रहार किया. लोग राजनीतिक दलों पर तीखा व्यंग्य सुनकर इतने उत्साहित थे कि हॉल तालियों गड़गड़ाहट से देर तक गूंजता रहा. मनोज कुमार ने अपनी कविता से समां बना दिया. कवि सम्मेलन में बिजनौर के स्थानीय साहित्यकारों ने भी शिरकत की, जिनमें राहुल तायल, कृष्ण कुमार मित्तल, डॉक्टर सत्येंद्र शर्मा, अनिल कुमार अग्रवाल, कृष्ण अवतार बैंकर्स, अरविंद कुमार मित्तल, ब्रह्म स्वरूप गर्ग, जगत शर्मा, लक्ष्मी शर्मा, आकाश अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में काव्य प्रेमी श्रोता मौजूद थे.