नई दिल्लीः 'माटी की सुगन्ध' समूह ने ऑनलाइन एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया. इसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय गीतकार डॉ जयसिंह आर्य ने की. मुख्य अतिथि थीं निवेदिता चक्रवर्ती. विशेष आमन्त्रित अतिथि अनुपिन्द्र सिंह अनूप व विशिष्ट अतिथि केसर कमल व जयप्रकाश मिश्र थे. इस कवि सम्मेलन के संयोजक भारत भूषण करनाल थे. डॉ विजय प्रेमी ने कवि सम्मेलन का संचालन किया. सम्मेलन की शुरुआत कवयित्री मोनिका शर्मा की सरस सरस्वती वन्दना से हुई. डॉ जयसिंह आर्य ने “हिम्मत के संग चलना, जीना जीवन को, डरने से नहीं डरना” पढ़कर मानवीय हौसलों को जो दिशा दी, उसका निर्वाह आगे के कवियों ने भी किया. निवेदिता चक्रवर्ती ने बहुत ही मार्मिक कविता पढ़ी, तो अनुपिन्द्र सिंह अनूप ने पढ़ा, “रिश्तों की पावनता को वो क्या समझे, जिनकी खातिर केवल पैसा रिश्ता है.” केसर कमल ने रक्षाबन्धन की रौनक को अपनी कविता में जगह दी, पर इसमें उन्होंने देश की सीमा पर खड़े जवानों का भी ध्यान और मान रखा. उन्होंने पढ़ा, “राखी भेज रही हूं मैं तुम सरहद पे डटे रहना. मातृभूमि की रक्षा का प्रण तुमको पूरा करना.“
इस कवि सम्मेलन की खासियत यह थी कि इसमें इनसानी भावना का हर रूप शामिल था. देशभक्ति, प्रकृति, हौसला, भाई बहन का प्यार ही नहीं बल्कि मानव मन की कोमल भावनाएं भी बखूबी अभिव्यक्त हुईं. जयप्रकाश मिश्र ने प्रेम गीत सुनाए, जिसके बोल थे, “अच्छे और बुरे में अन्तर, जितना सन्ध्या और विहान. नफरत से गुमनामी लेकिन, प्रेम दिला जाता पहचान.” भारतभूषण ने भी राखी पर्व को रेखांकित किया, “बहन भाई के प्यार का, रिश्ता है अनमोल. भूषण इसके मोल को, कौन सका है तोल.” डॉ विजय प्रेमी ने बहन-भाई के रिश्ते को वेदों का वरदान बताया. उन्होंने पढ़ा, “यज्ञ सरीखा अनुष्ठान है, वेदों का वरदान है. भाई-बहन का नाता पावन जीवन का विज्ञान है.” इनके अतिरिक्त प्रीतम सिंह प्रीतम, नरेश लाभ, तेजवीरसिंह त्यागी, गाफिल स्वामी, प्रेमसागर प्रेम, रामनिवास भारद्वाज ज़ख़्मी, हरेन्द्र प्रसाद यादव, सरिता गुप्ता, तरुणा पुण्डीर तरुनिल, डॉ पंकज वासिनी और राजकुमार अरोरा गाईड ने भी अपनी कविताओं से खूब वाहवाही बटोरी.