पटना: "जब आप उर्दू की अच्छी तालीम हासिल करेंगे तभी आप शेरो-शायरी और गजलों के मायने और भाव समझ पायेंगे। उर्दू की पढ़ाई में ही उर्दू की तरक्की शामिल है । शाहजाद जैसे शायर एक देश में बंधकर नहीं रहना चाहते, तभी तो वे अपने लोगों को अपनी रचनाओं से वाकिफ कराने यहां आते हैं। शायरी और गजलों में कवि के दिल का दर्द और खुशियाँ देखने को मिलती है।"  ये बातें बिहार विधान परिषद के सभापति हारून रशीद ने मुस्लिम समुदाय से उर्दू की किताबें और अखबार पढ़ने की अपील करते हुए  कहा ।  वे  उर्दू अकादमी के सभागार में आयोजित साहित्य कार्यक्रम एक शाम फरहत शहजाद के नामसमारोह को संबोधित कर रहे थे।  इस मौके पर उन्होंने फरहत शहजाद की नयी पुस्तक कहना उसेका लोकार्पण भी किया। ज्ञातव्य हो फरहत शहजाद की गजलों को मेहंदी हसन, गुलाम अली, लता मंगेशकर, जगजीत सिंह जैसे अन्य प्रसिद्ध गायकों ने भी गाया है।

अमेरिका से आये प्रख्यात लेखक और कवि फरहत शहजाद ने अपनी शायरी और गजल से लोगों को अवगत कराने के पूर्व अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा किमैं पाकिस्तान का रहने वाला हूँ, लेकिन मेरा हिन्दुस्तान से जुड़ाव बहुत पुराना है। मैं जब पाकिस्तान जाता हूँ तो वहां मैं अपनी मां की गोद में रहता हूं और जब हिन्दुस्तान आता हूं तो तो नाना-नानी की गोद का एहसास होता है।।  हिन्दुस्तान मेरे दिल में होता है।"

 कार्यक्रम की शुरूआत बिहार के जाने-माने सर्जन डाॅ. ए.ए. हई के स्वागत भाषण से हुई।   मौलाना मजहरूल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एजाज अली अरशद ने सबहा को संबोधित करते हुए  कहा कि " फरहत शहजाद और मीर की रचनाओं में काफी साम्य देखने को मिलता है। ।" मगध विश्वविद्यालय उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अलीमउल्लाह हाली ने कहा " फरहत शहजाद की गजलें बड़ी आसानी से दिल में उतरती हैं। ये सरल भाषा में गजलें करते हैं जो आम आदमी भी समझ जाता है। । इनकी शायरी रूमानी होती है और रूमान पर आधारित होती है।

 इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार फैजान अहमद और उर्दू पत्रकार अनवारूल होदा, गृह विभाग के प्रधान सचिव आमीर सुबहानी, नुरी साहब, पुतुल फाउंडेशन के सचिव मनीष वर्मा एवं अच्छी-खासी तादाद में महिलाएं भी मौजूद थी। संचालन डाॅ. शकिल मोमिन ने किया।