कोलकाता: भाषा और साहित्य को लेकर पाठकों की उत्सुकता बरकरार है. कोलकाता पुस्तक मेला में वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर 'हिंदी साहित्य ज्ञानकोश' के लिए पाठकों में बहुत उत्सुकता देखी गई. लोगों ने बड़ी संख्या में इसके सेट की प्री-बुकिंग भी कराई. भारतीय भाषा परिषद और वाणी प्रकाशन की ओर से यह कोश इसी साल मार्च में प्रकाशित होना है. हिंदी में लगभग 100 वर्षों बाद एक ऐसा ज्ञानकोश आ रहा है. यह 7 खंडों में और लगभग 5000 पृष्ठों का है. इसमें हिंदी भाषा और साहित्य के अलावा इतिहास, समाजविज्ञान, पौराणिक चरित्र, धर्म, दर्शन, विश्व की सभ्यताओं और पश्चिमी सिद्धांतों की 2660 प्रविष्टियां अद्यतन सूचनाओं के साथ हैं. 'हिंदी साहित्य ज्ञानकोश' के मुखपृष्ठ के अनावरण के अवसर पर राजा राममोहन रॉय लाइब्रेरी के पूर्व निदेशक भाषाविद् एवं पुस्कालय संगठन के विद्वान डॉ के. के. बनर्जी ने इस कोश से जुड़े हुए संस्मरण को सुनाते हुए कहा कि इस कोश की शुरुआती संरचना से  वे प्रो. शंभुनाथ के साथ जुड़े हैं और इसकी अनुक्रमिकता और सरंचना लाइब्रेरी साइंस के अनुसार तैयार की गई है. प्रसिद्ध लेखक और चिंतक मृत्युंजय भारतीय ने कहा कि यह कोश समकालीन भारत की गुत्थियों को भी सुलझाता है, साथ ही हमारे प्राचीन और आधुनिक समाज को समझने के लिए यह आवश्यक ग्रंथ है.  डी.जी.पी मृत्युंजय कुमार सिंह ने अपनी शुभकामनाएं प्रकट करते हुए कहा कि हिंदी साहित्य ज्ञानकोश विद्यार्थियों के लिए बेहद कारगर सिद्ध होगा.
इस अवसर पर इस कोश के प्रधान संपादक डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि 7 खंडों के इस ज्ञानकोश के निर्माण में देश के लगभग तीन सौ विद्वानों का सहयोग मिला है और यह हिंदी पाठकों के एक बड़े अभाव की पूर्ति करेगा. खुशी है कि यह शीघ्र प्रकाशित हो कर आ रहा है. वाणी प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने कहा कि हमारे स्टाल पर इसकी  भारी मांग है. हम इसे दुनिया के अन्य देशों में भी ले जाएंगे. हम देश के कई शहरों में प्रमोशन कर रिलीज़ करेंगे. 'हिंदी साहित्य ज्ञानकोश' हर शिक्षित परिवार के लिए एक जरूरी ग्रंथ है. वाणी प्रकाशन के प्रंबध निदेशक ने इस कोश से जुड़े अपने अनुभव के बारे में बताया कि जब यह कोश भारतीय भाषा परिषद की ओर से तैयार किया जा रहा था तभी से वाणी प्रकाशन इसमें रुचि रखे हुए है. अब यह कोश शीघ्र ही पाठकों और विद्वानों के लिए उपलब्ध होगा.  कोश के वितरण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी व्यवस्था की गई है. विद्यार्थियों के लिए लगभग 5000 पृष्ठों के पेपरबैक का मूल्य 2000 रुपए है तथा पुस्तकालयों के लिए डीलक्स संस्करण का मूल्य 5000 रुपए में उपलब्ध रहेगा. साहित्य के विकास का रास्ता राजनीति, समाजशास्त्र एवं कलाओं के अंत:संबंधों से होकर जाता है, यह कोश इस कमी को पूरा करता है. शोधार्थी मधु सिंह ने कहा कि हिंदी साहित्य ज्ञानकोश की परियोजना का पूरा होना हिंदी की महत्वपूर्ण उपलब्धि है. कोलकाता पुस्तक मेला में मुखपृष्ठ के अनावरण के अवसर पर नील कमल, जितेंद्र सिंह, पूजा गुप्ता, निशांतजितेंद्र जीतांशु, श्रीनिवास सिंह यादव आदि उपस्थित थे.