नई दिल्लीः हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार, कवि, कथाकार, अनुवादक, व्यंग्य लेखक श्याम विमल का नोएडा में निधन हो गया, जिसकी सूचना से साहित्य जगत के उनके समकालीन कथाकार दुखी हैं. श्याम विमल ने एक मई को मजदूर दिवस के दिन नोएडा के कैलाश हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली. वह हृदय रोग और उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे और कुछ समय से आईसीयू में थे. उनके बड़े पुत्र विवेक शील के अनुसार उनकी अंत्येष्टि नोएडा की ही श्मशान भूमि में की गई. हालांकि श्याम विमल ने मृत्युपरांत देह दान का संकल्प पत्र लिया था, लेकिन कोरोना के प्रकोप के चलते वह संभव नहीं हुआ.
कवि-साहित्यकार दिविक रमेश ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए बताया कि श्याम विमल का जन्म अविभाजित भारत के शुजाबाद, जिला मुल्तान, जो अब पाकिस्तान में है, में हुआ था. विमल का हिंदी के साथ संस्कृत और मराठी पर भी समान अधिकार था.अनुवाद के लिए उन्हें साहित्य अकादेमी पुरस्कार भी मिला था. उनकी संस्मरणात्मक कृति प्रतिस्मरण और उपन्यास 'अनुस्मृति' काफी चर्चित रहा. कवि के रूप में वे अपने पहले ही संग्रह 'दीमक की भाषा' से चर्चित हुए थे. अपनी साफगोई और अपने स्वाभिमान के लिए प्रसिद्ध श्याम विमल ने पत्रकारिता में भी हाथ आजमाए थे, लेकिन उनका मूल व्यवसाय स्कूली अध्यापन था. उनका असली नाम श्याम सुन्दर शर्मा था. विमल नाम उन्होंने अपनी धर्मपत्नी के नाम से लिया. उनके संतप्त परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी का परिवार शामिल है. एक शरणार्थी के रूप में भारत आकर श्याम विमल ने बहुत ही संघर्षपूर्ण जीवन जिया, पर अपनी शर्तों पर.