लखनऊ: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के सहित्य सम्मान समारोह में डाक्टर रमेशचंद्र शाह को भारत-भारती मिला. इसके साथ लखनऊ के साहित्यकारों ने भी राजधानी का मान बढाया. लखनऊ से डाक्टर मिथिलेश दीक्षित और दयानंद पांडेय को साहित्य भूषण सम्मान, डाक्टर कैलाशदेवी सिंह को विद्याभूषण सम्मान और डाक्टर विष्णुगिरी को विधि भूषण सम्मान मिला. हिन्दी संस्थान के यशपाल सभागार में विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने साहित्यकारों को सम्मानित किया.हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर संदानंद गुप्त ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की.
लोहिया सम्मान डाक्टर जय प्रकाश कर्दम को दिया गया. हिन्दी गौरव सम्मान गोरखपुर के डाक्टर रामदेव शुक्ला, महात्मा गांधी साहित्य सम्मान नोएडा के डाक्टर राम गोपाल शर्मा, पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान गुरूग्राम के डाक्टर धर्मपाल मैनी को दिया गया.डाक्टर मृदुल कीर्ति को प्रवासी भारतीय हिंदी भूषण सम्मान दिया गया. उनके लिये यह दिन और भी खास हो गया क्योकि उनका जन्मदिन भी था. साहित्य में पुस्तकालय की भूमिका अहम होती है. ऐसे में राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन पुस्तकालय सम्मान कुमारसभा पुस्तकालय कोलकाता को दिया गया. अध्यक्ष प्रेमशंकर त्रिपाठी ने बताया कि यह पुस्तकालय एतिहासिक है.विज्ञान भूषण सम्मान डाक्टर गणेश शंकर पालीवाल को दिया गया. वह चलने में असमर्थ थे तो विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने उनको मंच के नीचेे उतर कर यह सम्मान दिया.
अलग अलग शहरों के 20 साहित्यकारों को साहित्यभूषण सम्मान दिया गया इनमें जयपुर से डाक्टर मधुरेश नंदन कुलश्रेष्ठ, इलाहाबाद से डाक्टर हरिमोहन मालवीय, पटना से डाक्टर अमरनाथ सिन्हा, गुरूग्राम से आचार्य निशांत केतु, फैजाबाद से देवी सहाय पांडेय ’दीपू’, बस्ती से रामनरेश सिंह ‘मंजुल‘, गुरूग्राम से डाक्टर नंद लाल मेहता ‘वागीश‘, लखीमपुर खीरी से डाक्टर सत्यधर शुक्ल, प्रतापगढ से डाक्टर रामबोध पांडेय, कानपुर से डाक्टर रमेश चन्द्र शर्मा, अंबेडकर नगर से राम सहाय मिश्र, अलीगढ से डाक्टर पशुपतिनाथ उपाध्याय, रायबरेली से डाक्टर ओम प्रकाश सिंह, शिमला से डाक्टर चमनलाल गुप्ता, उन्नाव से चन्द्र किशोर सिंह, मीरजापुर से डाक्ठर अनुज प्रताप सिंह, पूणे से डाक्टर दीप्ति गुप्ता, लखनऊ से डाक्टर मिथिलश दीक्षित और दयानंद पांडेय प्रमुख थे.
कार्यक्रम का संचालन हिन्दी संस्थान की डाक्टर अमिता दुबे ने किया.इस अवसर पर हिन्दी संस्थान की त्रैमासिक पत्रिका ‘साहित्य भारती’ और डाक्ठर एके त्रिपाठी की पुस्तक ‘प्लेट्स की कमी’ का लोकापर्ण भी किया गया.