मुंबईः भारतीय भाषाओं के उत्थान, विशेषकर हिंदी व संस्कृत साहित्य के लिए समर्पित सुषमा स्वराज को उनकी पुण्यतिथि पर याद करने के लिए एक वेबिनार आयोजित हो रहा है. मुंबई के क्रिएटिव्स कलेक्टिव ट्रस्ट की पहल 'नेशंस फर्स्ट कलेक्टिव', संस्कार भारती पुर्वोत्तर और संस्कृति गंगा न्यास के सहयोग से यह आयोजन कर रहा है. सुषमा स्वराज की पहली पुण्यतिथि पर कलाकारों और फिल्म बिरादरी द्वारा श्रद्धांजलि का यह कार्यक्रम काफी बड़ा होता, पर कोरोना वायरस के चलते 'सुषमांजलि- सुषमा स्वराज को एक श्रद्धांजलि' के नाम से इसे वेबिनार तक सीमित कर ऑनलाइन कर दिया गया है. प्रसिद्ध फिल्म निर्माता प्रियदर्शन इसकी आयोजन समिति के अध्यक्ष हैं. फिल्म उद्योग से जुड़ी हस्तियों का कहना है कि देश भर के कलाकार और फिल्म निर्माता भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को उद्योग का दर्जा प्रदान करने के लिए सुषमा जी के ऋणी रहेंगे. इसी तरह सुषमा स्वराज जब लोकसभा में विपक्ष की नेता थीं, उन्होंने 'कॉपीराइट संशोधन विधेयक' को पारित करने में मदद की, जिसने कलाकार और कंटेंट मुहैया कराने वाले लोगों के हक और अधिकार हासिल करने में मदद की है.
इस आयोजन में डॉ मृदुला सिन्हा, सुभाष घई, मोहनलाल, कंगना रनौत, साहित्यकार नरेंद्र कोहली, कविता, शत्रुघ्न सिन्हा, कृष्णमूर्ति, प्रसून जोशी, प्रियदर्शन, मधुर भंडारकर, जाह्नू बरुआ, अनूप जलोटा, एन. चंद्रा, अमीषा पटेल, ईशा गुप्ता, अनंत नाग, समीर अंजान, कमलेश पांडे, मुकेश खन्ना, गजेंद्र चौहान, राहुल सिंह, संगीत निर्देशक कुलदीप सिंह जैसे लोग उपस्थित होंगे. कार्यक्रम की अध्यक्षता सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर करेंगे. सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगी. 85 मिनट की इस श्रद्धांजलि सभा का संचालन हरीश भिमानी करेंगे. याद रहे कि ग्यारवां विश्व हिंदी सम्मेलन जब सुषमा स्वराज की अगुआई में संपन्न होने वाला था, तब देश ने पूर्व प्रधानमंत्री और प्रख्यात कवि अटल बिहारी वाजपेयी को खो दिया था, पर सुषमा स्वराज ने दुख की उस घड़ी को अटल जी को श्रद्धांजलि के साथ ही 'हिंदी विश्व और भारतीय संस्कृति' तथा 'वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा की पहुंच बढ़ाना' जैसे विषय में परिवर्तित करा दिया था. उस दौरान मुख्य सभागार का नाम अभिमन्यु अनत और समानांतर सत्रों के स्थल महावीर प्रसाद द्विवेदी, गोपाल दास नीरज और मणिलाल डाक्टर के नाम पर रखे गए थे, तो प्रदर्शनी स्थल को रायकृष्णदास का नाम दिया गया था. जाहिर है हिंदी के लोग भी स्वराज के योगदान को भूले नहीं हैं.