नई दिल्लीः जेनरिक दवाइयों को लेकर पिछले 7 वर्षों से देश में अलख जगा रहे स्वास्थ्य सेवी आशुतोष कुमार सिंह की पुस्तक जेनरिकोनॉमिक्स का लोकार्पण नई दिल्ली गांधी शांति प्रतिष्ठान स्थित सभागार में किया गया. मौका था स्वस्थ भारत एवं प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना के संयुक्त तत्वाधान में 'स्वस्थ भारत के तीन आयामः जनऔषधि पोषण और आयुष्मान' पर परिसंवाद का, पर छाई रही आशुतोष कुमार सिंह की पुस्तक 'जेनरिकोनॉमिक्स.' इस कार्यक्रम में अपनी किताब के बहाने लेखक ने जेनरिक दवाइयों के अर्थशास्त्र को समझाने का प्रयास भी किया. आशुतोष कुमार सिंह का कहना था कि जेनरिक दवाइयों को लेकर प्राथमिक समझ विकसित करने में उनकी यह किताब बहुत काम की साबित होगी. उन्होंने कहा कि अगर देश के लोग जेनरिक दवाइयों का सेवन करना शुरू कर दें और चिकित्सकों पर यह दबाव रहे कि उन्हें जेनरिक दवा ही लिखनी है, साथ ही सरकार पर यह दबाव रहे कि जेनरिक दवाइयों की गुणवत्ता को वो सुनिश्चित करती रहे तो वह दिन दूर नहीं जब इस देश को 90 हजार करोड़ रुपए की बचत होगी.
 पुस्तक का विमोचन प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के सीईओ सचिन कुमार सिंह, नेशनल हेल्थ एजेंसी के कार्यकारी निदेशक अरूण गुप्ता ने किया. जनऔषिधि परियोजना के सीईओ ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां पर गरीबी के कारण महंगी दवाइयों को आम लोगो वहन नहीं कर पा रहे हैं वहां पर जेनरिक दवाइयों की बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना एवं जनऔषधि के एक दूसरे के पूरक हैं. याद रहे कि सीवान के रजनपुरा गांव के रहने वाले आशुतोष कुमार सिंह स्वास्थ्य जागरूकता पर लंबे समय से काम कर रहे हैं और इसके लिए 2100 किलोमीटर की स्वस्थ भारत यात्रा भी कर चुके हैं. इस कार्यक्रम में करीब एक दर्जन पत्रकारों को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में सैकड़ों स्वास्थ्य पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे.