नई दिल्लीः हिंदी को लेकर किसी भी अकादमिक संस्थान द्वारा आयोजित यह एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसकी धमक लंबे समय तक बरकरार रहेगी. विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में हंसराज कॉलेज की प्राचार्या प्रो रमा ने एक ऐतिहासिक प्रयास के तहत 'नई दुनिया, नया भारत, नई हिंदी' विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें देश और दुनिया भर से हिंदी साहित्यसेवी, लेखक, पत्रकार, अध्यापक, साहित्यकार जुटे. कुल चौदह सत्रों में हिंदी की महत्ता स्थापित करने का यह एक अनूठा प्रयास था. पहले दिन उद्घाटन सत्र के साथ जहां ओपी कोहली, अश्विनी चौबे, चित्रा मुद्गल, एडमिरल डी के जोशी, महेन्द्र गोयल, तोमियो मिजोकामी, प्रो मोहन, विजय कुमार मिश्र, केजी सुरेश, अनंत विजय, शैलजा सक्सेना, बालेन्दु दाधीच, संजय बघेल, तेजेन्द्र शर्मा, कैलाश खेर, मालिनी अवस्थी, वाणी त्रिपाठी, गायत्री कुमार, संदीप भुतोड़िया, विनीता काम्बिरी, प्रभांशु ओझा, प्रो श्यौराज सिंह, दिव्या माथुर, डा नंदकिशोर पांडेय, जया वर्मा, अनिल जोशी, आशीष कंधवे, डॉ विमलेश कांति वर्मा, प्रो केएन तिवारी, प्रो सुरेश ऋतुपर्ण, तोमियो मिजोकामी, प्रो देवेन्द्र चौबे, प्रो सत्यकाम, सफर्मो तोलिबो, परमजीत राय, संध्या सिंह, राम प्रकाश द्विवेदी, महेन्द्र प्रजापति, प्रो कुमुद शर्मा, डा आनंद प्रधान, बीएल गौड़, राकेश दुबे, ममता मंडल, संभव कुमार, अजय कुमार, विनित कुमार और डा विनय गुप्ता सहित जापान, अमेरिका, इंग्लैण्ड, ऑस्ट्रेलिया, बुल्गारिया, न्यूयार्क, आर्मेनिया, फिजी, नेपाल, सूरीनाम, सिंगापुर, गयाना, श्रीलंका, मॉरिशस तथा नार्वे सहित लगभग 20 देशों के प्रतिभागी सम्मिलित हुए, वहीं दूसरे दिन ही जहां पूरे दिन हिंदी की गूंज रही.
इस दिन 'न्यू मीडिया और वैश्विक संस्कृति' विषय पर प्रो चंदन कुमार, राजश्री रॉय, राहुल देव, अशोक श्रीवास्तव एवं अनुराग पुनेठा ने अपनी बात रखी. सत्र का संचालन पुनेठा ने किया तो धन्यवाद ज्ञापन डॉ नृत्य गोपाल शर्मा ने किया. 'हिंदी में रोजगार की संभावनाएँ और नवाचार' विषय पर विजय मल्होत्रा, प्रो पूरनचंद टंडन, एम पी शर्मा, हरेन्द्र प्रताप राजीव कटारा, शंभूनाथ पांडेय एवं डॉ वीरेन्द्र पांडेय ने विचार रखे. 'लोक प्रशासन और भारतीय भाषाएँ' विषय पर संतोष तनेजा, सत्यपाल सिंह, निशांत जैन, प्रेमपाल शर्मा, अजेय कुमार, कुंदन यादव, धवल जयसवाल एवं दर्शन पांडेय ने बात रखी. इस सत्र में धन्यवाद ज्ञापन डॉ मनीष ने किया. 'राष्ट्र निर्माण में भाषा का महत्व और राजभाषा हिंदी' विषय पर नारायण कुमार, वीरेन्द्र यादव, नरेश शांडिल्य, राम मोहन पाठक, धनेश कुमार, हरि सिंह पाल अनिल वर्मा एवं आरजे मनीष आज़ाद तो 'भारतीय संस्कृति, मूल्यबोध एवं विश्व मानवता' विषयक पर मनोज श्रीवास्तव, अखिलेश मिश्र, जकिया जुबेरी, मोनिका अरोड़ा, मौना कौशिक, गोपेश्वर सिंह एवं प्रतिबिम्ब शर्मा ने अपना वक्तव्य दिया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ राजमोहिनी सागर ने किया. 'हिंदी की लघु पत्रिकाओं का अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य' विषय पर ओम प्रकाश गट्टानी, जवाहर कर्नावट, कृष्ण मनु, हरिश नवल, विवेक गौतम, डॉ हुकुमचंद गनेशिया, आशीष कंधवे ने अपना वक्तव्य दिया. धन्यवाद ज्ञापन प्रेम प्रकाश मीणा ने किया.