नई दिल्लीः केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा में 56 शिक्षकों तथा अधिकारियों के लिए निर्मित 'साकेत संकुल' का ऑनलाइन लोकार्पण करते हुए उम्मीद जाहिर की कि यह विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिका निभायेगा. उन्होंने कहा कि 'साकेत संकुल' में प्रवेश करने वाले शिक्षकों के मन में महात्मा गांधी वास करेंगे और जिस तरह की शिक्षा का सपना महात्मा गांधी ने देखा था उसे यहां के शिक्षक अपने कुलपति के नेतृत्व में पूरा करेंगे. यहां से निकलने वाले शिक्षार्थी गांधी बनकर निकलेंगे जो राष्ट्र निर्माण, सत्य, अहिंसा, प्रेम के लिए काम करेंगे और पूरी दुनिया में मानवता का प्रचार करेंगे. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गांधीजी जब अल्मोड़ा गये थे तो हिमालय के आखिरी छोर तक वे नयी तालीम ले गये थे. वहीं रहकर उन्होंने अनासक्ति योग लिखा था. उसमें गांधीजी का जोर शिक्षा, संस्कृति, संस्कार और आत्मनिर्भरता पर था. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी गांधीजी के सपनों के अनुरूप शिक्षा का प्रावधान किया गया है. ये प्रावधान आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहायक होंगे. निशंक ने कहा कि गांधीजी ने हर उस चीज को पकड़ा था जो मानवता पर केंद्रित थी. उन्होंने कहा कि यह भारत की ताकत रही है कि वह पूरी वसुधा को कुटुंब मानता है और सर्वे भवंतु सुखिन: की कामना करता है. पूरी दुनिया को माँ कहने वाला हिंदुस्तान ही है जो मानवता का संरक्षण कर सकता है. शुभ, शांति और प्रगति पूरी दुनिया की जरूरत है उसके लिए गांधी के सपनों को साकार करना ही होगा.
निशंक ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषा शिक्षण पर जोर दिया गया है. प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा दिए जाने से उसके नतीजे उत्साहजनक निकलेंगे. आज जब कई भाषाएं और बोलियां लुप्त हो रही हैं उन्हें हर हाल में बचाना राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अभिष्ट है. गांधी जी ने कहा था जिस देश की भाषा नहीं, वह गूंगा होता है. अंबेडकर ने कहा था कि भाषा के बिना समाज आगे नहीं बढ़ सकता. इसलिए मातृभाषा के माध्यम से शिक्षण और सभी भारतीय भाषाओं के बीच समन्वय स्थापित करने में हिंदी की भूमिका बड़ी है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भाषा शिक्षण के अलावा ज्ञान, विज्ञान और अनुसंधान पर भी जोर दिया गया है. गांधी जी जिस तरह की तालीम चाहते थे उसे मूर्त करने का संकल्प भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में है. इसके लिए कौशल पर जोर दिया गया है. गांधी के सपनों के अनुरूप और हिंदी भाषा शिक्षण के क्षेत्र में हिंदी विश्वविद्यालय अपने कुलपति प्रो रजनीश कुमार शुक्ल के नेतृत्व में जो काम कर रहा है, उसकी चर्चा करते हुए मंत्री ने कहा कि हिंदी भारत की पहचान है. वह अभिव्यक्ति है, संस्कृति है, प्रवृत्ति है, शक्ति है. हिंदी अन्य भारतीय भाषाओं और बोलियों से शब्द लेकर बहुत समृद्ध हुई है. हिंदी में जितने शब्द और शब्दकोश हैं उतने किसी भाषा में नहीं. शुरुआती वक्तव्य देते हुए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत की ऐतिहासिक शिक्षा नीति है जो शिक्षा, संस्कार, राष्ट्र निर्माण का यत्न है. पहली बार इस शिक्षा नीति में हिंदी और भारतीय भाषाओं में शिक्षा और पारस्परिक संबंध कायम करने, अनुवाद के जरिये ज्ञान की सामग्री सभी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि गांधी के 150वें और विनोबा के 125वें जन्मवर्ष में हिंदी विश्वविद्यालय से जो अपेक्षाएं और आकांक्षाएं केंद्रीय शिक्षा मंत्री को हैं उन्हें वह पूरा करने का पूरा प्रयास करेगा.