नई दिल्लीः हिंदी अकादमी दिल्‍ली ने संस्‍कृत अकादमी सभागार में हिंदी काव्‍य-गोष्‍ठी का आयोजन किया. इस काव्‍यगोष्‍ठी में डॉ विजय मित्‍तल, अभिषेक मानव, गीतकार डॉ हरीश अरोड़ा ने शिरकत की. आलोचक गीतकार ओम निश्‍चल ने काव्‍यपाठ की अध्‍यक्षता की.  हिंदी अकादमी के सचिव डॉ जीत राम भट्ट ने कहा कि शब्‍द ब्रहम होते हैं तथा कवि अपनी बनाई दुनिया का प्रजापति. वह शब्‍दों में प्राण फूंकता है. हर बड़ी कविता मे मूल में पीडा़ होती है. विरह वेदना से बड़े बड़े काव्‍यों की रचना हुई है. महर्षि वाल्‍मीकि की रामायण भी क्रौंच की पीड़ा का ही काव्‍यात्‍मक अवधान है. उन्‍होंने कवियों का हार्दिक स्‍वागत किया तथा कहा कि जब समाज में घोर निराशा व्‍याप्‍त हो, कवियों की वाणी उस निराशा को तोड़ कर मनुष्‍य के चित्‍त में आशा का संचार करती है.
काव्‍य गोष्‍ठी का शुभारंभ युवा कवि अभिषेक मानव के काव्‍यपाठ से हुआ. मानव ने ओज से भरी कई रचनाएं सुनाईं. उन्‍होंने अपनी कविताओं में धर्म और पाखंड से बाहर निकलने का आहवान जनता से किया. इसके बाद गोष्‍ठी में उमंग और मुस्‍कान बिखेरने के लिए सचिव हिंदी अकादेमी डा जीत राम भट्ट ने चिकित्‍सा से जुडे डॉ विजय मित्‍तल को आवाज दी. इसके बाद भक्‍तिकाल के साहित्‍य और मीडिया विषयक कृतियों के लेखक डॉ हरीश अरोड़ा ने अपनी कई कविताएं पढ़ीं. कार्यक्रम की अध्‍यक्षता कर रहे हिंदी के सुपरिचित आलोचक एवं गीतकार डॉ ओम निश्‍चल ने अपने संबोधन में मानवजीवन में काव्‍य की महत्‍ता से अवगत कराया और कहा कि ईश्‍वर जैसे यह सृष्‍टि रोज रोज गढ़ता है वैसे ही कवि की दुनिया रोज बनती है. वह अपनी दुनिया का नियामक है. देर शाम तक चली गोष्‍ठी में हिंदी कविता के सुधी श्रोता एवं अकादमी की संचालन समिति के सदस्‍य मौजूद थे. इसे सुचारु रूप से संयोजित करने में अकादमी के कार्यक्रम अधिकारी अनिल उपाध्‍याय ने विशेष सहयोग दिया. काव्‍यपाठ हिंदी अकादमी के नियमित कार्यक्रमों का हिस्‍सा है.