मुंबईः कला और साहित्य को समर्पित चौपाल की मासिक महफिल फिर जमी और कला और साहित्यप्रेमियों की शाम गुलजार हो गई. इस बार की चौपाल हास्य और व्यंग्य से भरपूर थी, जिसमें उपस्थित लेखकों, कलाकारों, कथाकारों ने हंसने- हंसाने का काम सफलतापूर्वक किया. कार्यक्रम का आग़ाज़ करते हुए ललित शाह ने भंवस कल्चरल सेंटर की गतिविधियों के बारे में कुछ ज़रूरी बातें बताईं. फिर सूत्र संभाला सुभाष काबरा ने और आमंत्रित किया शशांक दुबे को जिन्होंने '3 बातें जो होती हैं और 3 ऐसी बातें जो नहीं होतीं' के फॉर्मेट पर आधारितीक बेहद रोचक व्यंग्य पढ़ा. आलम यह था कि उनकी हर पंक्ति के साथ हंसी के ठहाके फूट पड़ रहे थे.
इस बार चौपाल में कविता गुप्ता ने यज्ञ शर्मा का आलेख पढ़ा तो अवधेश व्यास ने मुम्बईया बोली वाला आलेख. विष्णु शर्मा और सुभाष काबरा ने भी अच्छे व्यंग्य सुनाए. आसकरण अटल ने अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप मंच लूटने वाला परफॉरमेंस दिया. अशोक बिंदल ने मराठी लेखक पु. ल. देशपाण्डे का स्वयं द्वारा अनूदित संस्मरण सुनाया. हास्यरस की हल्की-हल्की फुहार से भीगे इस संस्मरण को सुन श्रोताओं का मन गुदगुदा उठा. चौपाल में इस बार विशिष्ट मेहमान के रूप में उपस्थित थे प्रख्यात कथाकार असगर वजाहत. उन्होंने कुछ अच्छी लघुकथाएं सुनाईं. अभिजीत घोषाल ने हास्य आधारित फ़िल्मी गाने सुनाकर श्रोताओं को आनंदित किया. कार्यक्रम की अन्तिम प्रस्तुति रही शेखर सेन की. उन्होंने शरद जोशी के एक व्यंग्य और कवि प्रदीप का एक गीत गाकर इस बार की चौपाल का शानदार समापन किया.