नई दिल्लीः 15वां जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में 5 मार्च से 14 मार्च के बीच चल रहा है, पर इसे लेकर इस साल लेखकों, पाठकों और साहित्य प्रेमियों का वह उत्साह नहीं दिखा, जिसके लिए यह आयोजन जाना जाता है. शायद इसकी वजह इसका हाइब्रिड मोड में होना हो. देखते हैं बचे हुए समय में जब यह कार्यक्रम जमीनी स्तर पर हो रहा है, तो दर्शक जुटते हैं या नहीं. हालांकि इस दौरान फेस्टिवल में भारतीय लोकतंत्र, चुनावी प्रक्रिया, मध्य पूर्व, विनायक दामोदर सावरकर की विरासत जैसे कई विषयों पर चर्चा हुई. इसी दौरान नमिता गोखले की हिंदी में अनूदित पुस्तक आंधारी का लोकार्पण भी हुआ. महोत्सव में अब तक संजय के रॉय, पुष्पेश पंत, उमर सैफ घोबाश, नवदीप सूरी, तल्मिज़ अहमद, नवतेज सरना, सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, मेकर्स ऑफ दलित हिस्ट्री के लेखक और भाजपा प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान, भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त और लेखक नवीन बी चावला, विजय गोखले, ब्रूनो मैकोस, महफूज अनम, हरीश त्रिवेदी, ज्योति मल्होत्रा, टीसीए राघवन, विक्रम संपत, उदय माहूरकर, चिरायू पंडित सावरकर, पारमिता सत्पथी, शोम्बी शार्प आदि अलग-अलग सत्रों की गरिमा बढ़ा चुके हैं.
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और भारतीय फ्यूजन बैंड के प्रमुख शास्त्रीय गायक उज्जवल नागर के संगीतर प्रदर्शन के साथ उद्घाटन सत्र हुआ . इसके बाद अपने भाषण में महोत्सव निर्माता और टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजय के रॉय ने जयपुर साहित्य महोत्सव में सभी का स्वागत करते हुए कहा कि पिछले साल हमने अपनी डिजिटल श्रृंखला जेएलएफ ब्रेव न्यू वर्ल्ड, जेएलएफ वर्ड्स ब्रिजेज और 2021 जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के जरिए विश्व के 27.5 मिलियन लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ाई. ये पहला साल है जब हमने फेस्टिवल को हाइब्रिड मोड में रखा है. यह फेस्टिवल 4 मार्च से 14 मार्च तक चलेगा. महोत्सव की सह-निदेशक नमिता गोखले ने कहा कि मैं साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त करके बहुत सम्मानित महसूस कर रही हूं. लेखक, इतिहासकार और महोत्सव के सह-निदेशक विलियम डेलरिम्पल ने कहा कि महामारी सभी के लिए कठिन रही है, लेकिन विशेष रूप से कला, साहित्य जगत के लिए खतरनाक रहा. लॉकडाउन के कारण इस क्षेत्र पर आर्थिक रूप से खतरा बढ़ा, लेकिन अब हम सब वापस आ चुके हैं. जाहिर है आयोजकों के भीतर उत्साह तो था पर हर साल दर्शकों से मिलने वाला समर्थन उस रूप में नहीं दिखा.