आज अमीश त्रिपाठी ने अपनी नई किताब सुहैलदेव के बारे में फेसबुक पर एलान कर दिया। अमिश की ये किताब उत्तर प्रदेश के एओक महान योद्धा राजा सुहैलदेव पर आधारित है। इस पुस्तक में अमीश ने सुहैलदेव के बारे में उपलब्ध जानकारी को फिक्शनलाइज करके पाठकों के सामने रखा। अमीश ने अपनी इस नई किताब के बारे में फेसबुक पर अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे से बात की और बताया कि ये उनके उपन्यासों की नई श्रृंखला इंडिक क्रानिकल के तहत सुहैलदेव पहली किताब होगी। ये किताब पाठकों के लिए 16 जुलाई को रिलीज की जाएगी। महीने भर पहले उसकी प्रीबुकिंग के शुरू होने का संकेत भी अमीश ने दिया। अमीश का कहना है कि उसने एक ऐसी व्यवस्था बनाई है जिसके तहत इस सीरीज की किताबें हर छह महीने पर प्रकाशित होगी। इसके तहत वो किसी अच्छे लेखक को अपने साथ रख रहे हैं और उनको अपनी उपन्यास की स्टोरी बताकर उनसे पहला ड्राफ्ट लिखवाते हैं। सुहैलदेव का पहला ड्राफ्ट विकास सिहं ने लिखा है। अमीश के मुताबिक इससे उनके लेखन पर लगने वाला समय कम होगा, लेकिन शैली उनकी ही होगी, कथाभूमि भी उनकी ही होगी।

इस किताब पर बात करते हुए अमीश ने अफसोस जताया कि भारत के महान योद्धाओं के बारे में हमारी इतिहास की पुस्तकें लगभग खामोश हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि टर्की के आक्रमणकारियों को मुस्लिम आक्रमणकारी क्यों कहा जाता है जबकि ब्रटिश आक्रमणकारियों को हम क्रिश्चियन आततायी नहीं कहते हैं। अमीश के मुताबिक सुहैलदेव श्रावस्ती के दलित राजा था जिन्होंने सन 1034 में तुर्की के आक्रमणकारियों के दांत खट्टे कर दिए थे और श्रावस्ती के युद्ध में उनको पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था। अमीश का दावा है कि बैटल ऑफ बहराइच में गजनी की हार बहुत बड़ी थी और उसके 150 साल बाद तक कोई भी आक्रमणकारी इस ओर आंख उठाकर देखने की हिम्मत नहीं कर पाया।

अमीश ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक अभिनव प्रकाश ने उनको सुहैलदेव के बारे में बताया, फिर उन्होंने रिसर्च किया,और इस उपन्यास को एक सच्ची कहानी के आधार पर प्रस्तुत किया। अमीश के मुताबिक सुहैलदेव महान योद्धा थे जिन्होंने दुश्मनों के खिलाफ लड़ने के लिए हिंदू, मुसलमान सभी को इकट्ठा किया। उस वक्त कई राजाओं ने हथियार डाल दिए थे और कई डर रहे थेष ऐसे माहौल में सुहैलदेव ने आक्रमणकारियों से लोहा लिया और परास्त किया। अपने इस उपन्यास में अमीश ने लोककथाओं का भी सहारा लिया है।  अमीश ने अलग अलग किताब अलग अलग लेखक के साथ लिखने का प्रयोग शुरू किया है, इस बात का पता तो 16 जुलाई के बाद ही चल पाएगा कि उनका ये प्रयोग कितना सफल रह पाता है।

अपनी किताब पर बातचीत के क्रम में अमीश ने खुसकर बाते की। उन्होंने साफ कहा कि अगर आप राष्ट्रवादी हैं तो आप लिबरल भी हो सकते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि अगर आप भारत से प्यार करते हैं तो यहा रहनेवाले सभी लोगों से प्यार करना होगा। लेकिन इतिहास को गलत तरीके से लिखे जाने पर उन्होंने अफसोस जताया और भरोसा दिया है कि वो भारत के महान नायकों और नायिकाओं को सामने लाने की कोशइस कर रहे हैं जिसका नतीजा है ये नई श्रृंखला जिसकी पहली किताब होगी- सुहैलदेव।