शिमला: 'अंधेरा बहुत है चलो जुगनुओं को ढूँढे, सूरज आने को अभी रात बाकी है.' हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ और सर्वाधिक सक्रिय साहित्यकारों में से एस आर हरनोट के सोशल मीडिया पेज पर चस्पां यह पंक्तियां उनके जज़्बे को बताने के लिये काफी है. हरनोट आजकल साहित्य के साथ पर्यावरण बचाने की अनूठी मुहिम में भी लगे हैं. इस बाबत उनके पास योजनायें भी हैं और उनके अमल का तरीका भी. यही नहीं वह हिमाचल दौरे पर आये साहित्यकारों के लिये भी गोष्ठियां करते- कराते रहते हैं. इसी क्रम में उन्होंने उच्च अध्ययन संस्थान में आयोजित सेमिनार में शामिल होने आए युवा अतिथि कवियों के साथ स्थानीय बुक कैफ़े में कविताओं की एक शाम आयोजित की, जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से अकादमिक प्रशिक्षण के लिये जुटे साहित्यरसिक प्रतिभाओं ने अपनी रचनाएं सुनाईं और श्रोताओं को विभोर कर दिया.


बुक कैफ़े में इस तरह की यह 56वीं गोष्ठी थी, जिसमें अतिथि कवि के रूप में बनारस से आए कुमार मंगलम और जगन्नाथ दूबे, पटना से सत्यम कुमार झा और पुष्यमित्र, इलाहाबाद से धीरेंद्र प्रताप सिंह के साथ स्थानीय रचनाकार राजीव पंत, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, आत्मा रंजन, अभिमन्यु राणा और धनंजय सुमन आदि ने हिस्सा लिया. याद रहे कि हरनोट ने हाल ही में तारादेवी से समरहिल रेलवे ट्रैक पर पर्यावरण और साहित्य यात्रा का सफल आयोजन कराया था, जिसके तहत शिमला कालका शिमला रेलवे ट्रैक पर 8 किलोमीटर की पैदल यात्रा के दौरान साहित्यकारों ने प्लास्टिक आदि कचरे को हटाने के साथ ही जगहजगह वृक्षारोपण भी किया. यही नहीं हिमाचल विश्वविद्यालय से कुलपति डॉ सिकंदर कुमार ने विख्यात इतिहासकार एसआर मेहरोत्रा की स्मृति में भी पौधा रोप कर उन्हें श्रद्धांजलि भी दे दी.