पटना, 4 अगस्त। 'जनशब्द', पटना और हिन्दयुग्म, दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में विमलेश त्रिपाठी के उपन्यास 'हमन है इश्क मस्ताना' पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। महाराज कामेश्वर काम्प्लेक्स स्थित 'टेक्नो हेराल्ड' में आयोजित यह कार्यक्रम दो सत्रों में विभाजित था। प्रथम सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि प्रभात सरसिज ने की ।
उपन्यास की रचना प्रक्रिया पर बात करते हुए कोलकाता से पधारे कवि, कथाकार व उपन्यासकार विमलेश त्रिपाठी ने कहा" ये मेरा दूसरा उपन्यास है।पहला उपन्यास ' कैनवास के बाद प्रेम '। ' हमन है इश्क मस्ताना' के केंद्र में प्रेम ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ है।जैसे न्यूक्लियर फैमिली का विखंडन आदि।"
कथाकार और दूरदर्शन के कार्यक्रम अधिशासी शम्भू.पी सिंह ने कहा " विमलेश बिहार के हैं और उपन्यास के हर पन्ने पर बिहार दिखता है। उपन्यास पाठकों तक पहुंचने के लक्ष्य में प्यूरी तरह सफल रहा है।"
विनय कुमार ने अपने संबोधन में कहा " 'हमन है इश्क मस्ताना' आज की कथा है। हम चौबीसों घंटे मोबाईल, फेसबुक पर हैं उसकी अपनी ट्रेजडी है।" वरिष्ठ कवयित्री रानी श्रीवास्तव के अनुसार " यह समझना भूल है किसिर्फ स्त्रियां ही समर्पित होती है , पुरुष भी निष्ठावान होते हैं।" आरा से आये जीतेन्द्र कुमार ने हाल के लिखे उपन्यासों की चर्चा करते हुए विमलेश त्रिपाठी के उपन्यास की सराहना की। चर्चित कवि राजकिशोर राजन ने उपन्यास में स्त्री विमर्शों की मौजूदगी को विशेष रूप से रेखांकित किया।
दूसरा सत्र काव्य पाठ का था जिसमें पटना के कई कवियों ने काव्य पाठ किया। प्रमुख कवियों में थे शहंशाह आलम, शायर संजय कुमार कुंदन, अरविंद पासवान, प्रभात सरसिज, रानी श्रीवास्तव, शम्भू.पी सिंह, गणेश बागी, रामनाथ शोधार्थी, कुंदन आनंद, उत्कर्ष आनंद भारत, भावना शेखर , राजकिशोर राजन, नसीम अख्तर, सिद्धेश्वर, एम.के मधु, विजय प्रकाश, विभूति कुमार आदि। काव्य पाठ की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि व साहित्यकार श्रीराम तिवारी ।
पटना की सक्रिय साहित्यिक संस्था 'जनशब्द' प्रकाशक हिंदी युग्म की इस परिचर्चा में व काव्य पाठ में शहर के बुद्धिजीवी, साहित्यकार उपस्थित थे।