नई दिल्ली: साहित्य अकादमी ने 'व्यक्ति एवं कृति' कार्यक्रम में प्रख्यात अर्थशास्त्री एवं नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार को आमंत्रित कर उनके जीवन के विभिन्न चरणों में प्रभावित करने वाली पुस्तकों की चर्चा की. अपने बचपन को याद करते हुए उन्होंने बताया कि उस समय उनकी पहली पहचान गीता प्रेस, गोरखपुर प्रकाशित ‘बाल रामचरित मानस’ तथा ‘आदर्श बालक’ शृंखला की पुस्तकों से हुई. इसी के द्वारा उन्होंने भरत और एकलव्य जैसे चरित्रों द्वारा निर्भीकता और गुरु के प्रति आदर और असमानता का विरोध करने जैसे गुणों को प्राप्त किया. माडर्न स्कूल बाराखंभा में अपनी पढ़ाई का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में उन्होंने पहली बार व्यवस्थित लाइब्रेरी देखी और उसका भरपूर लाभ उठाया. बाद में शरतचंद्र, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय एवं प्रेमचंद के साहित्य को पढ़ा. ‘गीता रहस्य’, रामकृष्ण मिशन द्वारा विवेकानंद की पुस्तकों, ‘द कम्यूनिस्ट मैनिफेस्टो’ एवं ‘इजरायल सिक्स डे वार’, उर्दू शायरी के मशहूर नामों साहिर लुधियानवी, शकील बदायूँनी, मजाज़ लखनवी और खुमार बारावंकी के साथ ही श्रीलाल शुक्ल की ‘राग दरबारी’ को पढ़ा. विदेश में पढ़ाई के दौरान ‘द सीक्रेट लाइफ आफ प्लांटस’, प्रो. एच.के. मनमोहन सिंह की पुस्तक ‘थ्योरी आफ यूटीलिटी’ का जिक्र किया.
1988 में उन्होंने आदिशंकराचार्य की पुस्तक ‘विवेक चूड़ामणि’ पढ़ी और उन्हें पहली बार लगा कि ‘इगो’ पर नियंत्रण करके ही समाज के लिए कुछ कर सकते हैं. अपने भाषण के अंत में उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि अभी भी भारतीय परंपराओं के हिसाब से अर्थशास्त्र की शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह सच है किताबें हमें बहुत कुछ सिखाती है लेकिन हमें कबीर की यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोई / ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होये. उन्होंने उपस्थित श्रोताओं के अनेक प्रश्नों के उत्तर भी दिए. कार्यक्रम के प्रारंभ में साहित्य अकादमी के सचिव डा के श्रीनिवासराव ने राजीव कुमार का स्वागत अंगवस्त्र और पुस्तकें भेंट करके किया और इस महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पिछले तीस वर्षों से चली आ रही इस कार्यक्रम शृंखला में हम साहित्यकारों से इतर ऐसे प्रमुख लोगों को बुलाते हैं जिन्होंने अपने जीवन में विशेष सफलताएँ प्राप्त की हों. अभी तक इस शृंखला में जयंत नार्लीकर, मृणालिनी साराभाई, सलिल चैधरी, मधु दण्डवते, अटलबिहारी वाजपेयी, दिलीप पंडगाँवकर, सीताराम येचुरी आदि कई महत्त्वपूर्ण लोग आ चुके हैं.