नई दिल्लीः स्थानीय हंसराज कॉलेज में गीतकार शैलेंद्र पर केंद्रित और इंद्रजीत सिंह के संपादन में प्रकाशित पुस्तक 'धरती कहे पुकार के: गीतकार शैलेंद्र' का लोकार्पण हुआ. इस कार्यक्रम में साहित्य और सिनेमा के कई पारखी लेखक, साहित्यकार व सुधीजन मौजूद थे. इनमें कथाकार तेजेंद्र शर्मा, कवि नरेश सक्सेना, लेखक एवं गीतकार शैलेंद्र के अभिन्न मित्र डॉ अरविंद कुमार, केके बिड़ला फाउंडेशन के निदेशक एवं कवि सुरेश ऋतुपर्ण, जेएनयू के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ गोविंद के नाम उल्लेखनीय हैं. इस कार्यक्रम में गीतकार शैलेंद्र के कई नए आयाम और संस्मरण जानने और सुनने को मिले. जिनमें तीसरी कसम फिल्म के निर्माण से संबंधित परेशानियों का जिक्र भी शामिल था. लंदन निवासी कथाकार तेजेन्द्र शर्मा ने बड़ी ही सहजता से पश्चिम के कवियों और गीतकारों के साथ शैलेंद्र के गीतों की तुलना की और एक बहुत ही सार्थक वक्तव्य दिया.
इस अवसर पर लगभग सभी वक्ताओं ने गीतकार शैलेन्द्र के लिखे मधुर गीतों को याद किया और सिनेमा जगत और समूची एक पीढ़ी पर उसके प्रभावों की चर्चा की. कवि सुरेश ऋतुपर्ण का वक्तव्य भी रोचक रहा. पुस्तक के लेखक इंद्रजीत सिंह ने विस्तार से पुस्तक पर चर्चा की और लेखन से संबंधित कई संस्मरण श्रोताओं के बीच रखे. महेंद्र प्रजापति ने इस कार्यक्रम का संचालन किया. डॉ मनीष ने शोधपरक व्याख्यान दिया. नरेश सक्सेना ने गीतकार शैलेन्द्र पर वक्तव्य के साथ ही माउथ ऑर्गन पर 'प्यार हुआ इकरार हुआ' की प्रस्तुति के साथ ही समूचे वातावरण को संगीतमय कर दिया. श्रोताओं के लिए यह अनुभव अप्रतिम था. गीतकार शैलेन्द्र के बारे में डॉ अरविंद कुमार का संस्मरण बहुत ही मार्मिक था. प्रोफेसर सुरेश ऋतुपर्ण ने बेहद संक्षिप्त पर सारगर्भित वक्तव्य दिया. सिनेमा के मर्मज्ञ शरद दत्त का व्याख्यान तथ्यपरक शोधपरकऔर महत्वपूर्ण था. महेंद्र पुरोहित का संचालन क़ाबिले तारीफ था. जाहिर है हंसराज कॉलेज की साहित्यप्रेमी प्राचार्य डॉ रमा शर्मा के सहयोग व उपस्थिति के बिना इतना उम्दा कार्यक्रम संभव ही नहीं होता.