भोपालः ललित कलाओं के प्रशिक्षण प्रदर्शन एवं शोध की अग्रणी संस्था स्पंदन द्वारा पंकज सुबीर के बहुचर्चित उपन्यास 'जिन्हें जुर्म-ए-इश्क पर नाज़ था' पर पुस्तक चर्चा का आयोजन स्वराज भवन में किया गया. इस अवसर पर उपन्यास के दूसरे संस्करण का भी विमोचन हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्यप्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सैयद मोहम्मद अफ़ज़ल ने की. वक्ता के रूप में भोपाल के कलेक्टर तरुण पिथोड़े, पत्रकार बृजेश राजपूत तथा सुदीप शुक्ला उपस्थित थे. अतिथियों का स्वागत स्पंदन की संयोजक कथाकार डॉ उर्मिला शिरीष ने किया. सुदीप शुक्ला ने कहा कि यह उपन्यास एक ऐसे समय पर आया है, जब इस उपन्यास की सबसे अधिक आवश्यकता थी. यह इस समय की सबसे ज़रूरी किताब है. इस उपन्यास में प्रश्नोत्तर के माध्यम से आज के कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब तलाशे गए हैं. ऐतिहासिक पात्रों को उठाकर उनके साथ चर्चा करते हुए लेखक ने आज की समस्याओं के हल और उनकी जड़ तलाशने की कोशिश की है. बृजेश राजपूत ने कहा कि पंकज सुबीर के पहले के दोनों उपन्यास भी मैंने पढ़े हैं तथा उन पर टिप्पणी की हैं, यह तीसरा उपन्यास उन दोनों से बिल्कुल अलग तरह का उपन्यास है. इस उपन्यास को पंकज सुबीर ने एक बिल्कुल नए शिल्प और एक नई भाषा के साथ लिखा है. यह ठहरकर पढ़े जाने वाला उपन्यास है जो आपको कई सारी नई जानकारियां प्रदान करता है, ऐसी जानकारियां जिनके बारे में आप जानना चाहते हैं.
इस अवसर पर भोपाल कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने कहा कि यह उपन्यास प्रशासन से जुड़े हुए अधिकारियों के मानवीय पक्ष को सामने रखता है. साथ में उन चुनौतियों के बारे में भी बताता है जिन चुनौतियों का सामना हम सब को करना पड़ता है. यह मानवीय मूल्यों की पुनर्स्थापना का उपन्यास है. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सैयद मोहम्मद अफ़ज़ल ने कहा कि इस उपन्यास में बहुत सारी बातें ऐसी हैं, जिनको पढ़ते हुए हमें लगता है कि लेखक ने बहुत खतरा उठा कर इस उपन्यास को लिखा है. कई सारी बातें, कई सारे कोट्स इस तरह के हैं जैसे हमारे ही मन की बात लेखक ने लिख दी है. इस तरह के उपन्यासों का लिखा जाना बहुत ज़रूरी है क्योंकि यह उपन्यास और इस तरह की किताबें बहुत सारी गलतफहमियों के अंधेरे को दूर कर एक सही दिशा दिखाने का कार्य करेंगे. इस अवसर पर पंकज सुबीर ने अपने उपन्यास के एक अंश का भी पाठ किया. कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध शायर बद्र वास्ती ने किया. कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों को स्पंदन तथा शिवना प्रकाशन की तरफ से स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए. अंत में आभार स्पंदन की संयोजक डॉ. उर्मिला शिरीष ने व्यक्त किया. इस अवसर पर बड़ी संख्या में साहित्यकार, पत्रकार उपस्थित थे.