मुंबईः देश की वाणिज्यिक राजधानी के लोखंडवाला कविता क्लब ने 'सुनो कहानी 6' कार्यक्रम आयोजित किया. इसके तहत 'डॉ धर्मवीर भारती और गुलकी बन्नो' पर मुख्य चर्चा हुई और भारती से जुड़े कई संस्मरण सामने आए. आयोजन में अपने स्वास्थ्य की उपेक्षा कर पुष्पा भारती भी आईं. उन्होंने कनुप्रिया के पाठ की औपचारिकता भर नहीं निभाई बल्कि अतीत के सागर से एक के बाद एक मोती ढूंढ कर उनकी प्रस्तुति से श्रोताओं को समृद्ध किया. युनुस खान ने 'गुलकी बन्नो' कहानी का पूरे उतार चढ़ाव के साथ बेहतरीन पाठ किया. सुदर्शना द्विवेदी ने इस कहानी की प्रासंगिकता पर विश्लेष्णात्मक ढंग से अपनी बात कही. इसके बाद पुष्पा भारती ने अपनी बात शुरू की. उन्होंने कहा कि तबियत साथ नहीं दे रही है इसलिए कनुप्रिया नहीं पढूंगी पर भारती जी की अंतिम  कविता 'सफरनामा' पढ़ना चाहूंगी. यह कविता किस तरह से उनके लिए जन्मदिन का उपहार थी, और कैसे उनके हर जन्मदिन पर भारती उनके लिए पसंदीदा उपहार को लेकर आते थे….अपने प्रेम के झूले में झूलती ,अतीत की पींगों के सहारे पुष्पा भारती हरियाली तीज के उस झूले को झूलने लगीं जिसे कनुप्रिया झूल रही थी और पूछ रही थी- तुम मेरे कौन हो कनु!'' इस सबके बाद सौभाग्यशाली श्रोताओं ने कनुप्रिया के काव्य जन्म का बेहद निजी प्रसंग जाना.
संस्मरणों की श्रृंखला चली तो सूर्यबाला ने 'मेरे संधि पत्र' के धारावाहिक प्रकाशन का रहस्य साझा किया. हरीश पाठक, विश्वनाथ सचदेव और प्रेम जनमेजय सबने अपनी-अपनी बात, अपने-अपने संस्मरण साझा किए. रेखा निगम, दीप्ति मिश्र, मनहर चौहान, दिनेश लखनपाल और आसकरण अटल ने अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए संपादकीय लीक से हटकर काम करने वाले भारती को याद किया. हरीश पाठक ने कहा कि आज हम ऐसे इतिहास पुरुष को याद कर रहे हैं जिसका शब्द-शब्द,अक्षर-अक्षर इतिहास में दर्ज है. 'अस्मिता थियेटर' ग्रुप के सुशांत बरार ने 'अंधा युग' का नाट्य पाठ कर उसे सजीव कर दिया. इस अवसर पर मुंबई के साहित्य,  कला, फिल्म और पत्रकारिता जगत की कई हस्तियां मौजूद थीं, जिनमें हरीश भिमानी, सूरज प्रकाश, कैलाश सैंगर, विभा रानी, सीमा सहगल, अजय ब्रह्मात्मज, सविता मनचंदा, मंजुला देसाई, कमलेश पाठक, अनिल सहगल, उषा भटनागर, प्रीतम कुमार आदि शामिल थे. संचालन देवमणि पांडेय ने किया और दीनदयाल मुरारका ने आभार ज्ञापित किया.