नई दिल्ली: स्थानीय त्रिवेणी सभागार में राग विराग कला केंद्र द्वारा कवि सुधा उपाध्याय को उनकी रचना 'इसलिए कहूंगी मैं' के लिए 14वें शीला सिद्धान्तकर स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया. प्रसिद्ध लेखिका डॉ नूर जहीर ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया. आरंभिक वक्तव्य देते हुए शिवमंगल सिद्धान्तकर ने कहा कि आज के समय में देश इटली के मुसोलिनी और जर्मनी के हिटलर के फासीवाद के भारतीय संस्करण से गुजर रहा है, उसे परास्त करने के लिए संस्कृतकर्मियों को आगे आना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस नव फासीवादी साम्राज्यवादी तंत्र के खिलाफ साहित्यकारों के शब्द किसी तोप, बारूद और प्रक्षेपास्त्रों से ज्यादा ताकतवर, चिर स्थायी और गतिशील सिद्ध होंगे. समारोह की मुख्य अतिथि और अध्यक्ष डॉ नूर जहीर ने सुधा उपाध्याय की एक कविता का हवाला देते हुए कहा कि 'जड़ें फैलाना महिलाओं की फितरत है जबकि इसके विपरीत पुरुष अक्सर उसकी जड़ें उखाड़ने का काम करता है.' उन्होंने वर्तमान राजनितिक परिप्रेक्ष्य पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मौजूदा शासनकाल में मुसलमानों, दलितों और महिलाओं पर हमलें बढ़े हैं जिसके खिलाफ एकजुट होकर मौजूदा निजाम को परास्त करने की जरूरत है. समारोह के मुख्य वक्ता डॉ आशुतोष कुमार ने सुधा उपाध्याय की कविता पर बोलते हुए कहा कि इस पितृसत्तात्मक व्यवस्था में महिला का कविता लिखना केवल शब्द साधना नहीं है बल्कि उसकी मुक्ति के लिए स्ट्रेटेजी है. उन्होंने शीला सिद्धान्तकर की कविता 'प्रतिक्रया' और 'कुतिया' को पढ़कर सुनाया और कहा कि शीला सिद्धान्तकर जीवन से कमतर कुछ भी नहीं चाहती थी और औरत की आजादी को बहुत महत्त्व देती थीं.
पुरस्कृत कवि सुधा उपाध्याय ने कहा कि स्त्रियों की लड़ाई पहचान की लड़ाई है और हम अपने आस पास मौजूद पुरुष वर्चस्व से जूझ रही हैं. साथ ही उन्होंने अपनी 'बोलती चुप्पी', 'रचो अपना संविधान' और 'चिल्लर' कविता का पाठ किया. समारोह के आरम्भ में ही हाल में दिवंगत कृष्णा सोबती, नामवर सिंह, विष्णु खरे, शिवशंकर मिश्र, अर्चना वर्मा और रमणिका गुप्ता के प्रति एक मिनट का मौन रखा गया. याद रहे कि शीला सिद्धान्तकर की स्मृति में यह सम्मान वर्ष 2006 से प्रतिवर्ष एक युवा कवि को स्त्रियों की आवाज बुलंद करने के लिए दिया जाता है. कार्यक्रम के दूसरे भाग में राग विराग कला केंद्र की छात्राओं द्वारा कथक के विवध नृत्य रूपों की प्रस्तुति की गई, जिसकी कोरिओग्राफी प्रसिद्ध कथक गुरु पुनीता शर्मा ने की थी. कार्यक्रम के अंत में राग विराग के अध्यक्ष नारायण कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया. समारोह में राम कुमार कृषक, प्रियदर्शन, नीरज सार्थक, डॉ कुसुम जोशी, डॉ ए के अरुण, डॉ विनय वर्मा, प्रो ओ के. यादव, डॉ मदन राय, एडवोकेट अरुण मांझी, थॉमस मैथ्यूज, अजय प्रकाश, नरेन्द्र, जवाहर लाल, भूपेन्द्र चौधरी, नित्यानन्द गायेन, रूपक कुमार, आशुतोष राय, सौरभ सिंह क्रांतिकारी, मनीष सिन्हा, समीर आदि लोग शामिल थे. समारोह का संचालन सम्मान समिति के सचिव कवि रवींद्र के. दास ने किया.