लखनऊ: संत कवि रविदास की जयंती पर पूरे देश ने उन्हें याद किया. समाज और सियासत ने उनकी समरसता को याद किया, तो शिक्षा और साहित्य जगत ने उनके लिखे को. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के संत रविदास मंदिर की यात्रा की तो रैलियों में भी जिक्र किया. तो कांग्रेस के राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पीछे नहीं रहे. इनके सहित वाराणसी के मंदिरों में नेताओं का तांता लगा रहा. पर यहां उत्तर प्रदेश और बिहार के शैक्षणिक संस्थानों की है, जिन्होंने इस अवसर पर कार्यक्रम किए. जौनपुर के तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के बलरामपुर सभागार में संत रविदास की जयंती पर संगोष्ठी हुई. यहां वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ विजय कुमार सिंह ने कहा कि संत रविदास का जीवन सभी जनमानस के लिए सरलता, सहजता का प्रेरणास्त्रोत है. संत रविदास कहा करते थे कि कोई व्यक्ति जन्म से महान नहीं होता है. वह अपने कर्मों व सुकृत्यों से जाना जाता है. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे एसोसिएट प्रोफेसर आरएन ओझा ने कहा कि संत रविदास एक संत के रूप में, एक गृहस्थ के रूप में आडंबर मुक्त समाज के व्यक्ति थे. मुख्य वक्ता समाजशास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ हरिओम त्रिपाठी ने कहा कि संत रविदास के जीवन से मानव जीवन जीने की कला मिलती है. डॉ त्रिपाठी ने कहा कि उनके कर्मवादी विचारधारा ने समाज में लोगों की एक नई दिशा दी है. संत रविदास भारतीय संस्कृति, सभ्यता, समता और समानता के पोषक थे. कार्यक्रम में समाजशास्त्र विभाग के डॉ संतोष, डॉ नेहा सिंह, डॉ दीपशिखा सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किया. इस मौके पर डॉ मनोज कुमार सिंह, डॉ आमोद रघुवंशी, डॉ सुमन, डॉ पूनम मिश्रा, रामेंद्र सिंह, नरेंद्र सिंह आदि उपस्थित थे.

सहारनपुर में सर्वोदय ज्ञान पब्लिक स्कूल में  प्रधानाचार्य रुपेश सैनी ने कहा कि संत रविदास धार्मिक प्रवृत्ति एवं दयालु एवं परोपकारी व्यक्ति थे. उनका जीवन दूसरे की भलाई व समाज के मार्गदर्शन में बीती. इस दौरान स्कूल सरंक्षक हरि सिंह सैनी, अनीता, शिवकुमार, देवेंद्र और जावेद अली आदि मौजूद रहे. वहीं अमर ज्योति इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य संतोष अग्रवाल और प्रबंधक हिमांशु अग्रवाल ने कहा कि गुरु रविदास जी ने समाज में एकता और शैक्षिक जागृति के लिए उनके वचनों से विद्यार्थियों को अवगत कराया. इस दौरान वीना अग्रवाल, ज्योत्सना अग्रवाल, मनीषा प्रजापति, इंदू शर्मा माया कश्यप, इंद्रेश नामदेव, जैनब अंसारी, नेहा धीमान और मीनाक्षी वर्मा आदि मौजूद रहे. मेप्लस पब्लिक स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानाचार्य डॉ चित्रा जोशी और अंजली त्यागी ने कहा कि संत गुरु रविदास ने छुआछूत जैसी कुरीतियों का विरोध ही नहीं किया बल्कि समरस समाज की स्थापना की. बिहार में भोजपुर जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में भी संगोष्ठी हुई, जिसका उद्घाटन प्रो बलिराज ठाकुर, प्रो दिवाकर पांडेय, डॉ नंदजी दुबे, कवि आलोचक जितेंद्र कुमार, डॉ अयोध्या प्रसाद उपाध्याय एवं शिवदास सिंह ने किया. प्रो बलिराज ठाकुर ने कहा कि संत रविदास महान संत, दार्शनिक, कवि और समाज सुधारक थे. कवि जितेंद्र कुमार ने कहा कि रविदास ने आर्थिक विषमता, गरीबी, बेकारी और बदहाली से मुक्ति के लिए श्रम व स्वावलंबन का सिद्धांत दिया था. प्रो दिवाकर पांडेय ने कहा कि उनकी अमृतवाणी ने पूरे भारत में भावनात्मक एकता स्थापित करने में अमूल्य योगदान दिया. डॉ उपाध्याय ने कहा कि वे जीवन पर्यंत समाज से भेदभाव को समाप्त करने के लिए प्रयास करते रहे.