नई दिल्लीः राजधानी के साहित्य अकादमी स्थित रवींद्र भवन सभागार में इसे मैथिली कविताओं का उत्सव कह सकते हैं. अकादमी ने 'साहित्य मंच' कार्यक्रम के तहत पांच मैथिली रचनाकारों- प्रेम मोहन मिश्र, मुन्नी कामत, ओमप्रकाश झा, निवेदिता झा एवं विनीत उत्पल को मैथिली काव्य-संध्या में रचना-पाठ के लिए आमंत्रित किया. ये सभी मैथिली के स्थापित, उदीयमान व प्रतिष्ठित रचनाकार हैं. इस अवसर पर निवेदिता झा ने स्त्री, जात्रा एवं बापू शीर्षक से अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं. मुन्नी कामत की कविताओं के शीर्षक थे- अहीकें रोपल, जीनगी, आधुनिकता एवं कवि. ओमप्रकाश झा ने अपनी कई गज़लों के साथ एक कविता भी प्रस्तुत कीं, जिसका शीर्षक था-रातिक खाधि. पत्रकार, लेखक व कवि विनीत उत्पल ने सत्ता, फेसबुक आ पान सुपारी एवं चूल्ही संग्रहालय शीर्षक से अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं.
इस कार्यक्रम की खास बात यह थी कि इन सभी रचनाकारों की कविताओं में मैथिली समाज की राजनीतिक एवं सामाजिक स्थिति के साथ ही बढ़ती वेदना की झलकी दिखी. इनकी कविताओं में ये परिवर्तन भी महसूस किया गया कि मैथिली कविता धीरे-धीरे श्रृंगार के आवरण से निकलकर यथार्थ के ठोस धरातल पर आने की कोशिश कर रही है. रचना-पाठ के बाद साहित्य अकादमी के मैथिली परामर्श मंडल के संयोजक प्रेम मोहन मिश्र ने उपस्थित श्रोताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि वे साहित्य अकादमी के इस मंच पर पुरानी और नई पीढ़ी को एक-साथ लाने के लिए इस तरह के कई अन्य कार्यक्रम आयोजित करने के लिए प्रयासरत हैं. कार्यक्रम में मैथिली के कई साहित्यकार और युवा लेखक उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन अकादमी के उपसचिव प्रकाशन एन. सुरेश बाबू ने किया.