नई दिल्लीः साहित्य अकादमी द्वारा साहित्य मंच कार्यक्रम में कवि एवं लेखक मृत्युंजय कुमार सिंह और कवयित्री आभा बोधिसत्व ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं. आभा बोधिसत्व ने आठ कविताएं प्रस्तुत कीं, जिनमें कुछ के शीर्षक थे 'यहाँ', 'बाहर निकलो', 'सीता नहीं मैं', 'जीवन यही तो है नामालूम सा', 'पत्थर ही सही' आदि. उनकी कविताएं भारतीय समाज में स्त्री की गति और दिशा पर केंद्रित थीं. इसके लिए उन्होंने सीता और अन्य पौराणिक पात्रों के सहारे अपनी भावनाएं व्यक्त कीं. आभा बोधिसत्व ने प्रतीकों के माध्यम से विराट स्त्री-दुख और स्त्री मन के प्रश्नों को अपनी कविताओं में कुशलता से प्रस्तुत किया. लेखक मृत्यजंय कुमार सिंह, जो अपने भोजपुरी गीतों के साथ ही कालिदास के 'मेघदूत' के अंग्रेजी और हिंदी के रूपांतरण के लिए जाने जाते हैं, ने सर्वप्रथम 'मेघदूत' के कुछ पदों को हिंदी अनुवाद में गाकर सुनाए और उसके बाद अपने भोजपुरी उपन्यास 'गंगा रतन बिदेसी' का एक अंश प्रस्तुत किया.

प्रख्यात कवि एवं लेखक मृत्यजंय कुमार सिंह ने उपन्यास 'गंगा रतन बिदेसी' की पृष्ठभूमि और विस्तृत फलक के बारे में बताया और अत्यंत रोचक ढंग से प्रस्तुत किया. रचना-पाठ के बाद मृत्यजंय कुमार सिंह तथा आभा बोधिसत्व ने श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दिए. कार्यक्रम में आरंभ में अकादमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने दोनों अतिथियों का स्वागत पुस्तकें भेंट करके किया. कार्यक्रम में मदन कश्यप, अनामिका, विमल कुमार, रेवती रमण, अजीत दुबे, ज्योतिष जोशी, अनुराधा प्रसाद, हरिराम मीणा, अनुज सहित अन्य महत्त्वपूर्ण लेखक एवं पत्रकार भारी संख्या में उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन साहित्य अकादमी के हिंदी संपादक अनुपम तिवारी ने किया.