वण्डोली है यही, यहीं पर
है समाधि सेनापति की.
महातीर्थ की यही वेदिका,
यही अमर-रेखा स्मृति की…हल्दीघाटी जैसी अमर काव्यकृति लिखकर हिंदी साहित्य में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले कालजयी कवि श्याम नारायण पाण्डेय के काव्य कर्म को सम्मानित करने की दृष्टि से अखिल भारतीय साहित्य परिषद् ने अपने 16वें राष्ट्रीय अधिवेशन में वीररस के इस महान कवि की पत्नी रमावती पाण्डेय और बलिदानी शहीद मेजर पंकज पाण्डेय के पिता अवधेश पाण्डेय को सम्मानित किया. सम्मेलन की विशेषता अपनी संस्कृति और जड़ों से जुड़ना था. यह अधिवेशन ग्रामीण परिवेश में संपन्न हुआ. पर्यावरण के अनुकूल स्वदेशी के भाव से सभी व्यवस्थाएं की गई थीं. देश के सभी प्रांतों से आए प्रतिनिधियों के रुकने के लिए पर्णकुटी का निर्माण किया गया था, जिसमें चारपाई, लालटेन रखी गई थी. प्रतिनिधियों को भोजन केले के पत्ते पर और मिट्टी के बर्तन में कराया गया.
इस अवसर पर पुस्तक-प्रदर्शनी आयोजित की गई. अधिवेशन के पहले दिन कवि सम्मेलन और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.इस अखिल भारतीय भाषा कवि सम्मेलन हुआ, जिसमें कुल 57 कवियों ने हिस्सा लिया, जिनमें 23 कवि अहिंदी भाषी थे. कवि सम्मेलन का संचालन प्रवीण आर्य  ने किया. कवि सम्मेलन देर रात्रि तक चला. इस अधिवेशन में दो प्रस्ताव भी पास किए गए जिसमें राजभाषा का प्रयोग और सरकारी अभिलेखों में इंडिया के स्थान पर भारत लिखा जाए की मांग की गई. अधिवेशन में साहित्य परिषद् की वेबसाइट का लोकार्पण हुआ. इस अवसर पर हरदोई के अल्लीपुर निवासी शिक्षाविद् व साहित्यकार डॉ सुशील चन्द्र त्रिवेदी 'मधुपेश' को अखिल भारतीय साहित्य परिषद् का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. ऋषि कुमार मिश्रा को पुन: राष्ट्रीय महामंत्री एवं परिषद् के प्रदेश महामंत्री रहे डॉ पवनपुत्र बादल को राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री बनाया गया. डॉ. साधना, दिनेश प्रताप सिंह एवं प्रो नीलम राठी को राष्ट्रीय मंत्री नियुक्त  किया गया.