पलामूः झारखंड का नक्सल प्रभावित इलाका इनदिनों शब्द साहित्य की साधना और कार्यक्रमों से गुलजार है. साहित्यिक संस्था 'परिमल प्रवाह' ने सदर प्रखंड के जमुने स्थित जीजीपीएस में दो दिवसीय अखिल भारतीय हिंदी साहित्य समागम आयोजित किया तो साहित्य के नामीगिरामी लोगों के बीच सियासत और प्रशासन से जुड़ी हस्तियों ने भी हिस्सा लिया. झारखंड विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी ने कहा कि जिस देश व समाज में साहित्य नहीं होता, वहां अंधकार होता है. जहां का साहित्य कमजोर होगा, वह समाज भी कमजोर होगा. उनका कहना था कि गुलामी के बाद भी यदि देश बचा रहा तो उसके पीछे हमारा समृद्ध साहित्य ही है. पलामू में हिंदी साहित्य समागम के आयोजन की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे समागम साहित्य को समृद्ध व समाज को जाग्रत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा कि साहित्य का काम समाज को जोड़ना है. मुख्य अतिथि पलामू डीआईजी विपुल शुक्ल ने कहा कि साहित्य की जड़ों को मजबूत करना ही हमारा ध्येय होना चाहिए. ऐसा लगता है कि लोगों में पढ़ने की प्रवृत्ति घट रही है जो अच्छी बात नहीं है. हमें बच्चों में भी अच्छी किताबें पढ़ने की आदत डालनी चाहिए.
इस अवसर पर वन संरक्षक मनीष अरविंद का कहना था कि जब-जब साहित्य को हाशिये पर डालने की कोशिश हुई है, इसके दुष्परिणाम सामने आए हैं. इसीलिए हमें प्रकाशनों की संख्या पर जोर देने की बजाय साहित्य की गुणवत्ता को फोकस करना चाहिए. उन्होंने वन संरक्षण, वायु प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण व जल प्रदूषण की चर्चा करते हुए कहा कि साहित्य में इन विषयों को प्रमुखता मिलनी चाहिए, क्योंकि इसमें मानव जाति का कल्याण सन्निहित है. इसकी अनदेखी कर हम अपनी जड़ें खोद रहे हैं. परिचर्चा से पहले साहित्य समागम का उद्घाटन अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया. कार्यक्रम का संचालन परिमल प्रवाह के अध्यक्ष विजय प्रसाद शुक्ल तथा श्रीधर प्रसाद द्विवेदी ने किया. जीजीपीएस की छात्राओं ने स्वागत गान प्रस्तुत किया. कार्यक्रम आयोजन में संस्था सचिव उमेश पाठक'रेणु', उपाध्यक्ष सत्यनारायण तिवारी, रमेश सिंह, खलील मिर्जा बेग, विजय मिश्र, सत्यनारायण पांडेय, केडी शरण, सुनील गांधी, रमेश विद्यानाथ व कमलनाथ तिवारी आदि की भूमिका रही. इस मौके पर प्रो. केके मिश्र, विजयानंद सरस्वती, अशोक तिवारी, श्यामकिशोर पाठक, हरिहर सिंह सहित कई गणमान्य लोग व साहित्य प्रेमी उपस्थित थे. धन्यवाद ज्ञापन परशुराम तिवारी ने किया. इस के बाद 'आधुनिक हिंदी काव्यों में राष्ट्रीय चेतना' विषय पर आयोजित परिचर्चा में नेपाल की रचनाकार श्वेता दीप्ति, जबलपुर के संजीव वर्मा 'सलिल', केंद्रीय विश्वविद्यालय रांची की पूजा शुक्ला तथा पलामू के राजेश्वर पांडेय व प्रो. सुभाषचंद्र मिश्र ने प्रभावपूर्ण प्रस्तुति दी. परिचर्चा के बाद सायंकाल कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ.