भोपालः ललित कलाओं और साहित्य के लिए समर्पित संस्था स्पंदन प्रतिवर्ष साहित्यकारों और कलाकारों को सम्मानित करती आई है. इसी कड़ी में स्पंदन सम्मान समारोह 2019 और 2020 का संयुक्त आयोजन दुष्यंत कुमार संग्रहालय भोपाल में सम्पन्न हुआ. कोविड 19 के कारण भोपाल के बाहर के रचनाकारों का आना संभव नहीं हो सका. प्रसिद्ध कथाकार गोविंद मिश्र ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि साहित्य अपने आप में एक ऐसी गहरी और जादुई चीज है, जो सबको जोड़ देती है. कोई भी समाज इसके बिना जीवित नहीं रह सकता. यद्यपि हमारे समाज में साहित्य के पाठकों का दायरा घटा है फिर भी समाप्त नहीं हुआ है. अभी भी साहित्य पढ़ा जा रहा है. जीवन के इससे शक्ति मिलती है. लेखकीय वक्तव्य में डॉ आनंद कुमार सिंह ने कहा कि मनुष्य की मूल शक्ति उसका अदम्य साहस है, जो सृजन के रूप में बाहर आता है. वैश्विक महामारी के समय अपनी रचनाधर्मिता की ज्योति जलाने वाले रचनाकार बधाई के पात्र हैं. जीवन में पारस्परिक सौहार्द और प्रेम ही सबसे बड़ा मूल्य होता है. इस बात को साहित्यकार ही रेखांकित करता है. साहित्यकारों का सम्मान जीवन की संवेदनशीलता का सम्मान है.
सम्मानित रचनाकारों में कविता संग्रह 'न्यूनतम मैं' के लिए गीत चतुर्वेदी को, आलोचना पुस्तक 'सन्नाटे का छंद' के लिए डॉ आनंद कुमार सिंह को, ग़ज़ल संग्रह के लिए ज़हीर क़ुरैशी को, रंग कर्म के लिए अविजित सोलंकी को सम्मानित किया गया. शशांक और सुशोभित कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके. इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत कवि और कथाकार डॉ वीणा सिन्हा ने किया और सम्मानित रचनाकारों का परिचय भी दिया. कार्यक्रम में रचनाकारों को प्रशस्ति पत्र, शाल, श्रीफल और पुरस्कार राशि भी प्रदान की गई. कार्यक्रम का संचालन स्पंदन की सचिव डॉ उर्मिला शिरीष ने किया. कार्यक्रम में भारत भवन के प्रशासनिक अधिकारी एवं कवि प्रेम शंकर शुक्ल, साहित्य अकादमी मप्र के पूर्व सचिव आनंद सिन्हा, मप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष पलाश सुरजन, स्पंदन संस्था के अध्यक्ष डॉ शिरीष शर्मा, प्रो ललिता त्रिपाठी, वीरेंद्र व्यास, महेश सक्सेना, राग भोपाली के संपादक शैलेंद्र शैली, हिंदी भवन के जवाहर कर्णावत, कथाकार सुमन सिंह, अनीता चौहान, डॉ स्नेहा कामरा, डॉ हेमंत सिन्हा और राजुरकर राज, अशोक बुलानी एवं भावना पंत उपस्थित रहे. इस अवसर पर अनेक साहित्य प्रेमी विद्यार्थी भी उपस्थित थे.