नई दिल्ली: इन दिनों जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल  चल रहा है और फेस्टिवल की सह-संस्थापक और उत्सव निदेशक होने के चलते नमिता गोखले अपने जीवन के महत्त्वपूर्ण क्षण 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार अर्पण समारोह 2021 के दौरान शामिल नहीं हो सकीं और उनकी ओर से यह पुरस्कार उनकी भतीजी ने ग्रहण किया, पर गोखले के लिए इस पुरस्कार की अहमियत उनके इन शब्दों में झलकती है, “साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाना संभवत: अब तक का सबसे सार्थक सम्मान है. साहित्य अकादेमी भारतीय भाषाओं की विविधता भरी विरासत को जीवित रखने के लिए बेहद प्रेरणादायी कार्य करती है. यह पुरस्कार मुझे भारतीय भाषाई लेखकों के विहित समुदाय में शामिल होने की एक व्यक्तिगत संतुष्टि देता है, जहां मुझे लगता है कि मैं इसी से जुड़ी हूं.'

पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया ने भी फेस्टिवल ऑफ लेटर्स यानी साहित्योत्सव 2022 के दौरान नमिता गोखले को उनके 2016 में प्रकाशित उपन्यास 'थिंग्स टू लीव बिहाइंड' के लिए अंग्रेजी श्रेणी में साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्रदान किए जाने पर बेहद खुशी जाहिर की. पेंगुइन रैंडम हाउस में कार्यकारी प्रकाशक और इस पुस्तक की संपादक मानसी सुब्रमण्यम ने कहा, 'नमिता गोखले द्वारा लिखी गई चीजें ऐतिहासिक घटनाओं की एक जटिल और समृद्ध टेपेस्ट्री बनाती हैं. इसकी महिलाएं विद्रोही हैं, और इसका परिदृश्य लगभग एक चरित्र है. यह पुरस्कार उपन्यास की असाधारण प्रासंगिकता को पहचानता है, और हमें नमिता गोखले का प्रकाशक होने पर बहुत गर्व है.' याद रहे कि पुरस्कार विजेता नमिता गोखले जानी मानी लेखिका और उत्सव निदेशक हैं. आपकी बीसेक कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनके कई भाषाओं में अनुवाद भी हुए हैं. आपने मिथकों के साथ-साथ हिमालयी क्षेत्र पर भी विस्तार से लिखा है. उनका पहला प्रशंसित उपन्यास 'पारो: ड्रीम्स ऑफ पैशन' 1984 में प्रकाशित हुआ था. उनका हालिया उपन्यास 'जयपुर जर्नल्स' भी काफी चर्चित रहा. माइकल मधुसूदन दत्त के जीवन पर एक नाटक 'बिट्रेड बाय होप' भी 2020 में प्रकाशित हो चुका है. आपकी बीसवीं पुस्तक 'द ब्लाइंड मैट्रिआर्क' 2021 में प्रकाशित हुई थी और हिंदी अनुवाद 'आंधारी' का लोकार्पण अभी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में ही हुआ है.