नई दिल्लीः साहित्य अकादमी के रविंद्र भवन सभागार में 'संवाद' के बैनर तले एक रचना गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें राजधानी दिल्ली और उसके आसपास रह रहे दिग्गज साहित्यकारों ने शिरकत की. इस आयोजन में कहानी, लघु कथा, कविता, संस्मरण जैसी विधाओं के साथ व्यंग्य की भी हिस्सेदारी थी. खास बात यह कि इस आयोजन में हिंदी साहित्य के तमाम रचनाकारों ने स्वयं से चुनी हुई रचनाएं सुनाईं. वरिष्ठ कथाकार मैत्रेयी पुष्पा ने अपनी कहानियां सुनाईं, तो व्यंग्य यात्रा के संपादक वरिष्ठ व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय ने व्यंग्य. पंजाबी के चर्चित अनुवादक और लेखक सुभाष नीरव ने अपनी तीन लघुकथाएं पढ़ीं – बारिश, दर्द और गुड़िया.
इस आयोजन में मैत्रेयी पुष्पा ने जहां लंबे समय बाद कहानी पाठ किया वहीं प्रेम जनमेजय तो प्रबुद्ध श्रोताओं की शिरकत से ही गदगद थे. कार्यक्रम की संयोजिका उपन्यासकार कुसुम अंसल थी तो संचालन का जिम्मा वरिष्ठ कवि और गीतकार लक्ष्मी शंकर बाजपेयी के जिम्मे रहा. कार्यक्रम में जिन रचनाकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया उनमें शैलेन्द्र शैल, डॉ कमल कुमार, संगीता गुप्ता, मंजू गुप्ता, सुभाष नीरव, प्रेम जनमजेय, महेश दर्पण, ओम सपरा, मैत्रेयी पुष्पा, रश्मि अग्रवाल, देवेंद्र बहल और प्रोफेसर कुलदीप सलिल शामिल थे. अंसल के मुताबिक इस तरह के आयोजन होते रहेंगे. कार्यक्रम में शामिल युवा कथाकारों के मुताबिक ऐसे आयोजनों से जहां आपको अपने समकालीनों को सुनने का अवसर मिलता है, वहीं आप अपनी रचना प्रक्रिया पर वरिष्ठों की प्रतिक्रिया से भी लाभान्वित होते हैं.