नई दिल्ली: साहित्य अकादमी के साहित्योत्सव के लेखक-सम्मिलन में अकादमी पुरस्कार 2018 के विजेताओं ने लेखन के रचनात्मक अनुभवों को साझा किया. डोगरी के लेखक इन्दरजीत केसर ने कहा कि मेरे हर उपन्यास में आतंकवाद से होनेवाले विनाश का उल्लेख है, लेकिन इनमें नारी के मनोविज्ञान और मनोस्थिति के बारे में भी लिखा गया है. गुजराती के शरीफा विजलीवाला ने कहा कि मेरे पिताजी अखबार बेचते थे इसलिए तरह-तरह की पत्रिकाएं और किताबें पढ़ने को मिल जाती थीं. वहीं से पढ़ने की आदत हुई और इसी पढ़ने की आदत के कारण मैंने अनुवाद भी करना शुरू किया और लिखा भी. हिंदी की चित्रा मुद्गल ने कहा कि कुछ लेखकों की कुछ कृतियां उसके अपराध बोध की संतानें होती हैं. दरअसल ऐसी कृतियों के जन्म का स्रोत सृजनकार की अंतश्चेतना में अनायास, अनामंत्रित, सदियों-सदियों से किया जा रहा वह अपराध होता है जो उसके वंशजों द्वारा किया गया होता है. मैं स्वीकार करती हूं कि 'पोस्ट बॉक्स 203 नाला सोपारा' लिखने के बाद भी मैं उस अपराध बोध से मुक्त नहीं हो पाई हूं.

मैथिली की लेखिका वीणा ठाकुर ने कहा कि मेरी पुरस्कृत रचना कहानी-संग्रह परिणीता समकालीन समाज, संस्कृति एवं मानवीय मूल्यों का ऐसा दस्तावेज है, जिसमें आधुनिक जीवन-शैली का व्यापक और सटीक चित्रण किया गया है. राजस्थानी लेखक राजेश कुमार व्यास ने बताया कि कविता हमेशा एक नई दृष्टि देती है. बचपन के संस्कारों से मुझे पद रचना को प्रेरित किया और आगे चलकर यही मेरी अभिव्यक्ति का साधन बने. संस्कृत लेखक रमाकांत शुक्ल ने बताया कि उनकी पुरस्कृत पुस्तक मम जननी एक काव्य संग्रह है और उसकी पहली कविता उन्होंने अपनी मां के बारे में लिखी है. अन्य पुरस्कृत लेखकों- सनन्त तांति, (असमिया), रितुराज बसुमतारी (बोडो), के.जी. नागराजप्प (कन्नड), मुश्ताक़ अहमद मुश्ताक़ (कश्मीरी), परेश नरेंद्र कामत (कोंकणी), एम. रमेशन नायर (मलयालम्), बुधिचंद्र हैस्नांबा (मणिपुरी), मधुकर सुदाम पाटील (मराठी), लोकनाथ उपाध्याय चापागाईं (नेपाली), श्याम बेसरा (संताली), खीमन यू. मूलाणी (सिंधी), एस. रामकृष्णन (तमिल), कोलकलूरि इनाक् (तेलुगु) एवं रहमान अब्बास (उर्दू) ने भी अपने-अपने विचार श्रोताओं से साझा किए. कार्यक्रम के अध्यक्ष साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि यह सभी लेखक हमारी भाषाई एकता और विचारों की ताकत के योद्धा हैं जो अपनी-अपनी तरह से अपनी-अपनी लड़ाईयां लड़ रहे हैं. कार्यक्रम का संचालन हिंदी संपादक अनुपम तिवारी ने किया.