नई दिल्लीः साहित्य अकादमी ने विशिष्ट संस्कृत विद्वान, भारतविद, कवि, लेखक, अनुवादक और साहित्य अकादमी के महत्तर सदस्य प्रो सत्यव्रत शास्त्री के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. साहित्य अकादमी कार्यालय में आयोजित शोक सभा में साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव का शोक संदेश पढ़ा गया. उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा कि प्रो. शास्त्री ने न केवल भारत में बल्कि पूरे एशिया में पाई जाने वाली रामायणों के कई पहलुओं को सामने लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. अपने लेखन के माध्यम से प्रो शास्त्री भारत की विभिन्न संस्कृतियों को एकजुट करने के लिए प्रयासरत रहे. उन्होंने भारतीय उप-महाद्वीप में प्रचलित कई प्रथाओं, रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों के संदर्भों एवं उनमें निहित दर्शन आदि का पता लगाया. भाषा, साहित्य, शिक्षाशास्त्र, धर्म और सांस्कृतिक विद्वत्ता के लिए एक प्रतिमान रहे प्रो. शास्त्री ने अपने शोध और लेखन के माध्यम से विभिन्न एशियाई संस्कृतियों को भारतीय परंपराओं के समीप लाने का स्मरणीय कार्य किया.
50 से अधिक अकादमिक और साहित्यिक कृतियों एवं सैकड़ों शोध पत्रों के लेखक प्रोफेसर शास्त्री का अंतिम कार्य 'दक्षिण पूर्व एशिया में रामायण था. 2021 में साहित्य अकादमी ने रामकिएन (थाई रामायण) को प्रकाशित किया था. अपने लंबे और समृद्ध जीवन में प्रो सत्यव्रत शास्त्री को अनेक पुरस्कार और सम्मानों से सम्मानित किया गया था, जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य अकादमी महत्तर सदस्यता और पद्म भूषण आदि शामिल हैं. प्रो सत्यव्रत शास्त्री ने अपना नश्वर शरीर अवश्य छोड़ दिया है, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य धरोहर के रूप में, भविष्य में अनेक विद्वानों और साहित्य प्रेमियों के लिए मार्गदर्शक बने रहेंगे. प्रो शास्त्री का निधन साहित्य अकादमी के लिए अपूरणीय क्षति है. वे साहित्य अकादमी के लिए हमेशा एक सजग और सहृदय मार्गदर्शक रहे. उनके जाने से एक विशाल शून्य पैदा हुआ है जिसे भरना असंभव है. साहित्य अकादमी ऐसे विद्वान-मनीषी के प्रति अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करती है.