नई दिल्लीः साहित्य अकादमी ने राजभाषा मंच कार्यक्रम के अंतर्गत 'गीत-ग़ज़ल संध्या' का आयोजन किया, जिसमें वरिष्ठ गीतकार बी.एल. गौड़, गज़लकार कमलेश भट्ट 'कमल' एवं विज्ञान व्रत ने अपनी रचनाएं सुनाईं. कार्यक्रम का आरंभ कमलेश भट्ट 'कमल' की ग़ज़लों से हुआ. कुछ शेर पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी चार ग़ज़ले प्रस्तुत कीं-

विरोध अपना जताने का तरीका पेड़ का भी है
जहाँ से शाख काटी थी वहीं से कोपलें निकली.

लगे ही झूठ का इल्ज़ाम क्यों उस पर
सियासत क्या कभी सच बोलती भी है.

इसके बाद विज्ञान व्रत ने अपनी ग़जले प्रस्तुत कीं. उनकी ग़ज़लों के कुछ महत्त्वपूर्ण शेर थे –

खामुशी मेरी ज़बाँ है
वो मगर सुनता कहाँ है

वो मेरा चेहरा न हुआ
मैं भी शर्मिंदा न हुआ

अंत में वरिष्ठ गीतकार बी.एल गौड़ ने अपने गीत प्रस्तुत किए. सस्वर प्रस्तुत कुछ गीतों की महत्त्वपूर्ण पंक्तियाँ थीं –

जी हाँ मैं घर बनाता हूँ
काठ, कंकड़ से खड़ा कर
द्वार पर पहरा बिठाता हूँ
जी हाँ मैं घर बनाता हूँ

ऐ हिमखंड गलो मत ऐसे
जैसे मेरी उमर गली
मै रोया तो व्यर्थ गया सब
तुमको फिर भी नदी मिली.

कार्यक्रम का संचालन साहित्संय अकादमी के हिंदी के संपादक अनुपम तिवारी ने किया. कार्यक्रम में प्रसिद्ध गीतकार एवं ग़ज़लकार सुरेश ऋतुपर्ण, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, प्रताप सिंह, अलका सक्सेना, भारतेंदु मिश्र, सुजाता शिवेन, अशोक कुमार ज्योति, अशोक मिश्र के अतिरिक्त अन्य कई महत्त्वपूर्ण लेखक एवं पत्रकार उपस्थित थे.