नई दिल्लीः साहित्य अकादमी ने आज प्रवासी मंच के अंतर्गत लंदन से पधारी लेखिका अमर ज्योति के रचना-पाठ का आयोजन किया. कार्यक्रम के प्रारंभ में पंजाबी परामर्श मंडल की संयोजिका वनीता ने उनका परिचय दिया और उनसे अनुरोध किया कि वे अपने नीदरलैंड प्रवास के दौरान सूरीनाम गए गिरमिटिया मजदूरों के बारे में अपने शोध की जानकारी दें. ज्ञात हो कि अमर ज्योति, एक प्रतिष्ठित पंजाबी लेखिका हैं. इनकी रचनाओं का डच, अंग्रेज़ी और विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ है. वे 1982 में नीदरलैंड के एमस्टर्डम में रहने चली गईं. वहां से फिर लंदन गईं और अभी वहीं रहती हैं. अमर ज्योति ने सूरीनामी कविता में राष्ट्र, पहचान और प्रवासी प्रसार विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की. उनकी सोलह पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिनमें कविता, गद्य, शोध कार्य और बच्चों का साहित्य शामिल है. उनकी रचनाओं को डच पत्रिकाओं और प्रकाशनों में भी सम्मानित स्थान प्राप्त हुआ है. अमर ज्योति ने विभिन्न पत्रिकाओं के साथ-साथ कई पुस्तकों का भी संपादन किया है और डच साहित्य का पंजाबी में अनुवाद किया है.
अमर ज्योति ने डच लेखकों के साथ मिलकर अंबर नाम से साहित्यिक पत्रिका शुरू की, जिसमें डच और पंजाबी लेखकों द्वारा अंग्रेजी में अनुवादित कार्य शामिल हैं और इसका उद्देश्य डच और पंजाबी साहित्य के बीच की खाई को पाटना है. उन्होंने एमस्टर्डम में रेडियो इंडियन टाइम और रेडियो वॉयस ऑफ एशिया के लिए कार्यक्रमों का भी बनाए और प्रस्तुत किए हैं. अमर ज्योति को डच और अंग्रेजी टेलीविजन कार्यक्रमों के अलावा अतिथि वक्ता के रूप में यूरोप, भारत, पाकिस्तान, कनाडा और अमेरिका के सम्मेलनों में भी सहभागिता करने का अवसर प्राप्त होता रहा है. अमर ज्योति को पंजाब के भाषा विभाग द्वारा प्रतिष्ठित शिरोमणि पंजाबी साहित्यकार पुरस्कार और नीदरलैंड, कनाडा, ब्रिटेन और भारत के अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार- एमस्टर्डम का विश्व कविता पुरस्कार, द वारिस शाह अवार्ड – यूके और कनाडा में आई ए पी ए पुरस्कार सहित विभिन्न राष्ट्रीय पुरस्कारों और सम्मानों से अलंकृत किया गया है. कार्यक्रम के दौरान सूरीनामी कवि, गीतकार एवं संगीतकार राजमोहन ने दो गिरमिटिया गीत प्रस्तुत किए, जिन्हें उपस्थित श्रोताओं ने बेहद पंसद किया. अंत में अमर ज्योति ने दो पंजाबी कविताएं सुनाईं. कार्यक्रम में विभिन्न भाषाओं के लेखक, पत्रकार एवं विद्यार्थी उपस्थित थे.