नई दिल्लीः साहित्य अकादमी आगामी 28-29 सितंबर को पोर्टब्लेयर के अंडमान क्लब में 'अखिल भारतीय लेखक उत्सव' आयोजित कर रहा है, जिसमें भारतीय भाषाओं की विविध विधा में लिख रहे देश भर के रचनाकार इकट्ठा हो रहे हैं. अकादमी का यह आयोजन अंडमान निकोबार प्रशासन के कला एवं संस्कृति विभाग और पर्यटन विभाग के सौजन्य से हो रहा है. चार सत्रों में बंटे इस उत्सव के उद्घाटन सत्र की शुरुआत 28 सितंबर को सुबह 10 बजे साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवासराव के स्वागत भाषण से होगी. उद्घाटन वक्तव्य साहित्य अकादमी के महत्तर सदस्य प्रख्यात गुजराती विद्वान रघुवीर चौधुरी द्वारा दिया जाएगा. साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक अध्यक्षीय वक्तव्य देंगे और विशिष्ट अतिथि के तौर पर अंडमान निकोबार प्रशासन के कला एवं संस्कृति विभाग की सचिव नेहा बंसल और अंडमान निकोबार प्रशासन के ही सूचना, प्रचार और पर्यटन विभाग के निदेशक अमित आनंद शिरकत करेंगे. इस अवसर पर आयोजित कविता पाठ में असमिया के ज्ञान पुजारी, हिंदी के दुर्ग विजय सिंह दीप, कॉकबरक के चंद्रकांत मुरासिंह और तमिल के आर गोपालन अपनी कविताएं सुनाएंगे. 

इस दिन का प्रथम सत्र 11.45 बजे शुरू होगा, जिसका विषय है 'मेरे लेखन की प्रेरणा'. इस सत्र की अध्यक्षता चर्चित लेखक पुरुषोत्तम अग्रवाल करेंगे और भाग लेने वाले वक्तागण हैं. अंग्रेजी के मुकुल कुमार, मराठी की रेखा बेजल और तेलुगु के ए कृष्णा राव. द्वितीय सत्र 'कवि सम्मिलन' है, जिसकी अध्यक्षता कवि सुरजीत पातर करेंगे. इस सत्र में भाग लेने वाले कवि हैं, बोडो के अरविंदो उजिर, बांग्ला के अनादिरंजन बिश्वास, गुजराती के भरत नाइक, हिंदी के व्यासमणि त्रिपाठी और जगदीश नारायण राय, लेप्चा के ल्यांगसॉङ तमसाङ, मलयालम के चंद्रन कोक्कदन, तमिल के मुथामिज विरुम्बी और उर्दू के चंद्रभान खयाल. 

तीसरा सत्र 29 सितंबर को सुबह 10 बजे शुरू होगा. यह सत्र कहानी-पाठ का है. इस सत्र की अध्यक्षता लेखक सी राधाकृष्णन करेंगे और कहानी-पाठ करने वाले कथाकार हैं, कन्नण के वसुधेन्द्र, कोंकणी की जयंती नायक, ओड़िया की पारमिता सत्पथी और राजस्थानी के चंद्र प्रकाश देवल. चौथा सत्र 'अस्मिताः महिला रचना-पाठ' का होगा, जिसकी अध्यक्षता ममंग दई और कविता-पाठ करने वाले रचनाकार बांग्ला की सेबंती घोष, अंग्रेजी की केरोलिन मैथ्यू, हिंदी की सुमन केशरी और डीएम सावित्री, मणिपुरी की अरमबम मेम्चौबी, निकोबारी की मेरी ग्रेस, उत्तर-पूर्व की तूलिका चेतिया येन, तेलुगु की डी आदि लक्ष्मी और उर्दू की रोशनआरा दिलबर हैं. अंडमान-निकोबार में ऐसे आयोजन के औचित्य पर साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवासराव का कहना है कि ऐसे आयोजनों से अकादमी की कोशिश सुदूर के उन अंचलों के लेखकों, साहित्यप्रेमियों तक पहुंचने, उन्हें समझने और उन तक भारतीय भाषाओं के लेखकों को पहुंचाने की है, जहां अब से पहले इस तरह के आयोजन नहीं हुए थे. हम इससे पहले कारगिल, लक्षद्वीप और नागालैंड में भी इस तरह के आयोजन करा चुके हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर पर काफी सफलता व सराहना मिली. उन्होंने उम्मीद जताई कि अंडमान-निकोबार में पहली बार आयोजित हो रहा यह उत्सव भी इस दृष्टि से यादगार होगा.